वीआईपी का शिकार करने वाली खूबसरत हसीना
सुनील वर्मा की रिपोर्ट
मोनिका चौधरी |
गुजरात के वलसाड़ से भाजपा सांसद केसी पटेल ने 28 अप्रैल को दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से मुलाकात की और उन्हें
बताया कि मोनिका नाम की एक महिला पिछले कुछ दिनों से उन्हें ब्लैकमेल कर पांच
करोड रूपये की मांग कर रही है। मामला केन्द्रीय सत्ता के एक सांसद से जुड़ा था
लिहाजा पुलिस आयुक्त ने तत्काल नई दिल्ली रेंज के विशेष आयुक्त मुकेश कुमार
मीणा को अपने पास ही बुला लिया। मुकेश मीणा को सांसद पटेल ने विस्तार से बताया कि
कुछ दिनों से उनके संपर्क में आयी मोनिका चौधरी नाम की महिला ने उनसे जान पहचान
बढ़ाने के बाद उन्हें इंदिरापुरम में अपने घर पर डिनर के लिए बुलाया और वहां उनके
खाने में नशा मिलाकर उन्हें बेहोश कर दिया । बाद में मोनिका ने बेहोशी की अवस्था
में उनकी आपत्तिजनक फोटो खींची और अश्लील वीडिया भी बना ली। इन्हीं वीडियों को
सार्वजनिक करने और इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी देकर वह उनसे पांच करोड़ रूपये
की मांग कर रही है। सांसद पटेल ने मुकेश मीणा से स्पष्ट बता दिया कि मोनिका से
उनकी मुलाकात पहले सु्प्रीम कोर्ट में हुई थी जहां वे अपने एक केस के सिलसिले में
गए थे। बाद में महिला ने उनका नंबर लेकर दो चार बात उनसे बातचीत की और फिर उनके
सरकारी आवास नर्मदा अपार्टमेंट पर आना जाना शुरू कर दिया। चूंकि मोनिका खुद को
वकील और वकालत के सम्मानित पेशे से जुड़ा बताती थी इसलिए वे भी उसे महत्व देते
थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वह एक ब्लैकमेलर है। सांसद पटेल ने बताया कि
मोनिका के साथ दो लोग व एक महिला भी जुड़े जो उसके साथ एक दो बार उनके यहां आये
थे।
मोनिका का बयान
विशेष आयुक्त मुकेश मीणा ने नॉर्थ एवेन्यू थाने में युवती
के खिलाफ मामला दर्ज कराया कि उसने अपने फ्लैट पर चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर
उन्हें बेहोश किया और आपत्तिजनक वीडियो और फोटोग्राफ तैयार किए। बाद में युवती ने
इसके बदले सात करोड़ रुपये की डिमांड की।
मुकेश मीणा ने तत्काल नई दिल्ली जिले के डीसीपी बी
के सिंह इलाके नार्थ एवेन्यू थाने के एसएचओ तथा एसीपी सुधीर गोस्वामी को अपने
कार्यालय में बुलाया तथा उन्हें सासंद के सी पटेल की शिकायत से अवगत कराने के बाद
तत्काल मामला दर्ज कर कार्यवाही करने के लिए कहा।
नई दिल्ली डीसीपी बी के सिंह ने सांसद पटेल की शिकायत
पर अपराध संख्या 93 पर जबरन वसूली और ब्लैकमेलिंग की एफआईआर दर्ज कर ली इसके बाद
एसीपी सुधीर गोस्वामी की निगरानी में एक विशेष जांच टीम का गठन किया साथ ही पुलिस
टीम को निर्देश दिया कि पूरी कार्रवाई को गोपनीय रखा जाए। पुलिस टीम ने सांसद पटेल
को किए गए फोन की कॉल डिटेल निकलवाने और उसमें आयी धमकी भरी कॉल की रिकाड्रिंग को
अपने कब्जे में लेकर शिकायत की पुष्टि कर ली तो पुलिस टीम ने उत्तर प्रदेश के
गाजियाबाद की इंदिरापुरम कालोनी के नीति खंड के एक अपार्टमेंट में तीन बैडरूम के
घर पर छापा मारा।
मोनिका चौधरी |
मोनिका चौधरी पुत्री सुरेश पाल, मूल निवासी खांजापुर, थाना शहर कोतवाली
मुजफ्फरनगर है, इंदिरापुरम स्थित अपने किराए के इसी घर में अकेली रहती थी।
महिला पुलिस ने मोनिका को अपनी गिरफ़त में ले लिया। और इसके बाद मकान की तलाशी ली।
तलाशी और छानबीन में पुलिस को कई अहम सबूत मिले हैं। वहां से 500 जीबी का एक डीबीआर
बरामद हुआ है। बरामद डीबीआर को फोरेंसिंक जांच के लिए भेज दिया गया है। पुलिस को
शक है कि इस डीवीआर में कई नेताओं हाईप्रोफाइल लोगों का स्टिंग हो सकता है, इसके अलावा घर के
अंदर ही सीसीटीवी कंट्रोल रूम बना हुआ था, जिसके जरिये सीसीटीवी कैमरों
को कंट्रोल और उनके जरिये वीडियो रिकॉर्डिंग होती थी।
इतना ही नही वहां से कई ऐसे दस्तावेज और सामान भी मिले जिसे देखकर पुलिस की
आखें खुली रह गई। महिला के 6 बैंक अकाउंट से संबधित
कागजात जैसे पास बुक और चेकबुक के अलावा जमा रशीदे और तीन लग्जरी कारों के पेपर
बरामद हुए। घर के बैडरूम की तलाशी में 28 कंडोम के पैकेट और वियाग्रा
की कुछ भरी व कुछ खाली शीशियां भी मिली हैं। इसके अलावा घर से कुछ डायरिया और
कागजात तथा ऐसे विजिटिंग कार्ड मिलें जिन्हें देख पुलिस चौंक गई। ज्यादातर
विजिंटिंग कार्ड पुलिसकर्मियों, नेताओं सांसदों, वकीलों और
कारपोरेट कंपनियों के थे। जो कार्ड मिलें उनमें से करीब 18 विजिटिंग कार्ड बीजेपी
सांसदों व नेताओं के थे। दिलचस्प बात ये थी कि महिला के घर की तलाशी में गृह
मंत्रालय के कई अधिकारियों के भी विजिंटिंग कार्ड मिले थे। मोनिका की डायरी व मोबाइल में भी उनके नंबर व नंबर दर्ज
थे। मोनिका ने पुलिस को पूछताछ में बताया उसके पास से जिन नेताओं और आधिकारियों के
विजिंटिग कार्ड में मिले हैं वह काम के सिलसिले में उनसे मिलने आती जाती थी। मोनिका
ने बताया कि वकालत के पेशें में होंने के कारण उसका नेताओं और अधिकारियों सभी से
मिलना जुलना रहता है इसीलिए गृह मंत्रालय में भी उसका आना-जाना था। वहां के कुछ
अफसरों से भी उसकी जान पहचान है।
कार्यशैली
मोनिका चौधरी |
पुलिस नार्थ एवेन्यू थाने लाकर मोनिका के खिलाफ आवश्यक लिखा पढ़ी की
कार्रवाई की और अगली सुबह एक मई को उसे पटियाला हाउस कोर्ट में न्यायिक मजिस्टेट
की अदालत में पेश कर पांच दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया। इसके बाद जब मोनिका से पूछताछ
का सिलसिला शुरू हुआ तो एक के बाद एक चौकाने वाले खुलासे होते गए। मोनिका की
कार्यशैली के बारे में जानकर पुलिस हैरान रह गई। नेताओं से मोनिका की अच्छी खासी
जान पहचान थी और वह जान पहचान वाले नेता के यहां अक्सर जाती रहती थी। और वहां
उनसे मिलने आए दूसरे नेताओं तथा अधिकारियों से बातों-बातों में उनके मोबाइल नंबर तथा
विजिटिंग कार्ड ले लेती थी। इसके बाद फोन पर उनसे बातचीत का सिलसिला शुरू होता और
बाद में सिलसिला दोस्ती और मिलने मिलाने तक पहुंच जाता। मोनिका का कहना है कि दो
चार बार बातचीत के बाद ही उसे पता लगा जाता था कि उसके शिकार की महिलाओं से दोस्ती
में दिलचस्पी है या नहीं। वह ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों को ही शिकार बनाने की
कोशिश करती। अगर शिकार मालदार या काम का होता था तो दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ाया
जाता अन्यथा संबधों को औपचारिक बातचीत तक सीमित कर दिया जाता । नेताओं तथा
अधिकारियों से दोस्ती और प्रगाढता सिर्फ उनसे दोस्ती गांठकर उन्हें ब्लैक मेल
करने के लिए ही नहीं की जाती थी बल्कि दलाली और लाइजनिंग करने के लिए भी उन संबधों
का इस्तेमाल किया जाता था। हां इसी दौरान जब प्रगाढ़ता बढ़ जाती थी और रिश्ते
शारीरिक मेल मिलाप तक पहुंच जाते थे। जब भी मोनिका किसी दोस्त या शिकार के साथ
घनिष्ठता के रिश्ते बनाती थी तो उसकी कोशिश होती ठिकाना उसका फ़लैट ही हो क्योंकि
वहां उसका खुफिया कैमरों को पूरा सैटअप लगा था और एकांत में बने रिश्ते की पूरी
रिकार्डिंग आसानी से हो जाती थी। पुलिस बताती है कि आमतौर पर मोनिका तथा उसके
गिरोह की दूसरी लड़की उस समय तक अपने शिकार को ब्लैकमेल नही करते थे जब तक वे
उनके दलाली के काम आसानी से करने में मदद करते थे। लेकिन जब वे आनाकानी करते या
उन्हें लगता कि वे उनकी कोर्इ मदद नहीं कर सकते तो मोनिका और अजयपाल तय करते कि
शिकार से ब्लैकमेल कर कैसे और कितनी रकम ऐंठी जायें। वैसे ब्लैकमेल करने के लिए
गिरोह के लोग उन्हीं को चुनते थे समाज में जिनकी बड़ी प्रतिष्ठा होती थी या उन्हें
अपनी सीडी के सार्वजनिक होंने पर राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन खत्म होंने का डर
होता था। ऐसे शिकार आसानी से सौदेबाजी कर मनचाहा पैसा दे देते थे। मोनिका सांसदों से
पहले नौकरी दिलाने या किसी दूसरी तरह की मदद मांगती और बातों के जरिए उन्हें अपने
जाल में फंसा लेती इसके बाद वह चाय या डिनर के बहाने अपने घर ले जाती और फिर खुद
ही ऐसे हालात पैदा कर देती कि उसके साथ आपत्तिजनक में हो बस वह ऐसी ही स्थिति की
तस्वीरें या वीडियोज बना लेती । इसके बाद उन्हें पैसा देने या बड़ी नौकरी की मांग करती।
अगर कोई ऐसा करने से मना करता है तो वह फर्जी रेप केस करने की धमकी देती है। जैसा
कि के सी पटेल के साथ हुआ।
सांसद के सी पटेल |
वैसे पुलिस को जांच के बाद में यह भी पता चला है कि सांसद केसी पटेल ने अपने
सरकारी लेटर हेड पर वीपी हाउस में एक महिला के नाम पर दो रूम सेट बुक करने का
आवेदन किया था। यह लेटर 10 मार्च 2017 का है, जिसमें सांसद केसी
पटेल की ओर से महिला को अपना गेस्ट बताते हुए 1 महीने के लिए रूम बुक करने
की बात कही गई है।
मोनिका का बयान
हांलाकि मीडिया से बातचीत और पुलिस को दिए बयान में मोनिका चौधरी उर्फ मीनू ने
सांसद केसी पटेल के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि उन्होंने उसे
डरा-धमकाकर कई बार उसके साथ रेप किया था। मोनिका का कहना है कि वह पेशे से वकील है
और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में उसकी मुलाकात सांसद केसी पटेल से हुई थी।
उसी केस के सिलसिले में सांसद ने उसे अपने 604, नर्मदा अपार्टमेंट पर
बुलाया था। वहां के सी पटेल ने उससे इधर उधर की बातचीत की और उसके साथ आत्मीयता
दर्शाने के बाद उसे अपने बैडरूम में ले जाकर उसके साथ रेप किया और उसे मुंह खोलने
पर जान से मारने की धमकी दी। मोनिका के बयान के मुताबिक सांसद ने उससे कहा, ‘तुम हमें जानती
नहीं हो। हमारी केंद्र में सरकार है, गुजरात में है, उत्तर प्रदेश में भी
हमारी सरकार है। हम जैसा चाहेंगे वैसा करेंगे।’
मोनिका का कहना है कि वह सांसद के सी पटेल की धमकी से बहुत डर गई थी। जिसके
कारण सांसद ने इसके बाद भी कई बार अपने फ्लैट पर बुलाकर उसके साथ रेप किया था।
केसी पटेल डिनर करने के बहाने उसके गाजियाबाद स्थित घर पर भी आए थे। वहां भी
उन्होंने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। मोनिका का कहना है कि 28 मार्च को उसने अपने
बचाव में सांसद का सेक्स वीडियो बनाया था। उसके बाद मोनिका ने सांसद केसी पटेल से कहा
कि तुमने मेरा बहुत शोषण कर लिया, अब मैं पुलिस में तुम्हारी
शिकायत करूंगी।
मोनिका के मुताबिक इसके बाद सांसद केसी पटेल ने उसे देख लेने की धमकी दी और
कहा कि अगर तुमने ऐसा किया तो तुमकों जेल में सड़वा दूंगा। 15 अप्रैल को उसने
सांसद के खिलाफ पुलिस में नार्थ एवेंन्यू थाने में अपने साथ हुई पूरी घटना की
लिखित शिकायत देकर सांसद पटेल के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन
पुलिस ने सांसद पटेल के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया। 20 मार्च को उसने फिर एक
बार ये प्रयास किया। लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिली तो उसने सांसद को फोन किया कि
वह अब उनके खिलाफ कोर्ट के जरिए उनके
खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाएगी। मोनिका के मुताबिक उसने पटियाला हाउस कोर्ट में अपर
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की
अर्जी दाखिल भी कर दी थी। कोर्ट ने नई दिल्ली जिला पुलिस से इस बार में जवाब
मांगने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया था। लेकिन पुलिस के आला अफसरों तथा सांसद
पटेल को इसकी भनक लग गई।
इसके बाद उलटा उस पर केस दर्ज नहीं कराने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। पुलिस
खुद उससे ऐसे पूछताछ करने लगी जैसे कि वह अपराधी हो और सांसद पीडित़। मोनिका के
मुताबिक जब सांसद तथा उनके दबाव मे काम कर रही पुलिस ने देखा कि उनका दबाव काम
नहीं करेगा तो सांसद पटेल ने उसके खिलाफ उल्टे ब्लैकमेल करके पांच करोड़ रूपए
मांगने की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी। मोनिका चौधरी का कहना है कि उसका न तो कोई
गैंग है और न ही उसने सांसद का पैसे के लिए कोई फोन किया।
मोनिका का कहना कि वह भाजपा से जुड़ी हुई नहीं है लेकिन इसके बावजूद सांसद
पटेल ने उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात
करवाने की बात कही थी। मोनिका ने यह भी स्वीकार किया है कि 6-7 महीने पहले हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शादी लाल बत्रा ने भी उसे एडिश्नल एडवोकेट जनरल बनाने का वादा करते हुए उसका शोषण किया था उसने इसकी शिकायत तिलक मार्ग थाने में की थी लेकिन बाद में कुछ लोगों के बीच-बचाव के बाद उसने अपनी शिकायत वापल ले ली थी।
पुलिस की कहानी
तत्कालीन विशेष अायुक्त मुकेश मीणा |
मोनिका ने पुलिस को दिए अपने बयान में माना कि पेशे से वकील होने के चलते उसकी
भी महत्वाकांक्षा थी कि उसके पास कई बड़े केस आए। बड़े-बड़े लोग उसके क्लाइंट हो ।
इसी महत्वाकांक्षा की वजह से वह हाई-प्रोफाइल लोगों के झांसे में आकर ट्रैप हो गई।
मोनिका ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश करते हुए बताया कि वह नहीं चाहती कि आगे कोई
भी लड़की इन लोगों के झांसे में फंसकर शिकार बने। इसलिए वह सांसद तथा उन जैसे
लोगों का वीडियों बनाकर उन्हें सबक सिखाती थी। मोनिका से पूछताछ के बाद पुलिस ने बताया कि मोनिका 2011 में यूपीएससी की सिविल सर्विस और राजस्थान पब्लिक सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली आयी थी लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। इसके बाद उसने पार्लियामेंट की बेवसाइट से बुजुर्ग सांसदों के नंबर हासिल करके उनसे फोन पर अप्वाइंटमेंट लेकर काम दिलाने की फरियाद के बहाने मिलना जुलना शुरू किया। हांलाकि मोनिका ने पहले पुलिस को बताया कि उसने इसी दौरान उसने मेरठ यूनिवर्सिटी से डबल एम के बाद एलएलबी और एलएलएम की डिग्री लेकर वकालत शुरू कर दी थी। लेकिन पुलिस को अब तक की जांच में उसकी एलएलएम की कोई डिग्री नही मिली है।
मोनिका का गिरोह
पुलिस की जांच और पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मोनिका बाकायदा एक गिरोह बनाकर
ब्लैकमेलिंग का काम करती है। मोनिका की कॉल डिटेल में जिस नंबर पर सबसे ज्यादा
बात करने की डिटेल आयी पता चला कि वह अजयपाल तोमर का था। पुलिस के मुताबिक मोनिका
ने अजयपाल के साथ मलेशिया भी घूमने गई थी। दोनों वहां कई दिनों तक रहे थे। पूछने
पर मोनिका ने अजयपाल को अपना ब्वॉयफ्रेंड बताया है। उसने बताया कि अजय भी उसके शहर
का ही रहने वाला है। उसके संपर्क में रहने वाले गिरोह के एक दूसरे सदस्य के बारे
में उसने बताया कि उसका नाम मित्रपाल पुत्र विक्रम है और उसके उसके गांव के समीप
ही गांव पीनना का रहने वाला है। मित्रपाल अपने गांव का पूर्व प्रधान भी है। मोनिका
से ही पता चला कि मित्रपाल के खिलाफ यूपी में कई मामले दर्ज हैं। मोनिका ने बताया
कि इस गिरोह में उसके अलावा समेत दो अन्य महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें एक युवती झज्जर, हरियाणा की रहने
वाली है जबकि दूसरी हरियाणा के ही जींद की रहने वाली है।
वे दोनों मित्रपाल के निर्देश पर ही काम करती हैं। इन सब जानकारियों के बाद दिल्ली
पुलिस की एक टीम एसीपी सुधीर गोस्वामी नेतृत्व में मोनिका को पांच दिन के पुलिस
रिमांड पर लेकर मुजफ़फर नगर गई।
दिल्ली पुलिस की टीम सबसे पहले मोनिका को लेकर एसएसपी मुजफ़फरनगर बबलू कुमार
के आफिस में पहुंची और काफी देर तक एसएसपी से इस सम्बन्ध में वार्ता की। एसएसपी के
निर्देश पर शहर कोतवाली पुलिस की एक टीम ने दिल्ली पुलिस के साथ खांजापुर पहुंचकर मोनिका
चौधरी के घर की तलाशी ली और जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिये।
पुलिस ने उसके पिता सुरेश पाल तथा भाई राकेश से उनके ही आवास पर बंद कमरे में
घंटों तक पूछताछ की। एसीपी सुधीर गोस्वमी का कहना है कि तलाशी के दौरान पुलिस को मोनिका
की एलएलएम की डिग्री का कोई प्रमाण नहीं मिला जिसका अर्थ था कि मोनिका खुद के वकील
होंने का झेठा रोब गालिब करती थी।
पुलिस ने मोनिका चौधरी के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की भी छानबीन की, जिसमें पाया गया है
कि मोनिका चौधरी उर्फ मोनिका राठी मूल रूप से गांव बसेडा थाना छपार, मुजफ्फरनगर की
रहने वाली है और उसने बसेडा के जैन गल्र्स इंटर कालेज से दसवीं और बारहवीं की
परीक्षा पास की है। पुलिस ने दसवीं के शैक्षिक प्रमाण पत्र कब्जे में ले लिये, लेकिन इंटर का कोई
दस्तावेज पुलिस के हाथ नहीं लग सका है। इसके अलावा पुलिस को डीएवी कालेज
मुजफ्फरनगर से एलएलबी किया हुआ प्रमाण पत्र जरूर बरामद हुआ लेकिन एलएलएम की कोई
डिग्री नहीं मिल सकी, जबकि आरोपी युवती मोनिका चौधरी ने पूछताछ में खुद को एलएलएम
डिग्री धारक बताया था। पुलिस ने मोनिका चौधरी के सभी शैक्षिक प्रमाण पत्र, स्कूल की ग्रुप फोटो
व अन्य फोटो समेत अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में लिये। पुलिस को मोनिका
चौधरी के पिता सुरेश पाल ने बताया कि उनका परिवार दस वर्ष पूर्व गांव बसेडा से आकर
खांजापुर में बसा था। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि मोनिका चौधरी दो बार
खांजापुर गांव से प्रधानी का चुनाव भी लड चुकी है, एक बार उसे चालीस वोट मिले
थे और दूसरी बार सत्तर वोट मिले थे। मोनिका ने पुलिस को बताया कि उसके दोस्त
मित्रपाल ने ही उसे विधायक बनने का सपना दिखाना शुरू किया था। लेकिन उसने कहा था
कि राजनीति की पहली सीढी ग्राम प्रधान का चुनाव है। इसलिए मित्रपाल के कहने पर ही
उसने दो बार चुनाव लड़ा। बाद में जब इसमें बुरी तरह असफल रही तो उसने तय किया कि
अब वह पहले मोटी पैसा कमायेगी फिर सीधे पैसे के बल पर किसी राजनीतिक दल से पैसा
देकर एमएलसी की सीट खरीद लेगी।
दिल्ली पुलिस की एक टीम जिस समय मोनिका चौधरी के परिजनों से पूछताछ कर रही थी, उसी समय दूसरी टीम
हैड कांस्टेबिल विनोद कुमार के नेतृत्व में शहर कोतवाली पहुंची और मोनिका चौधरी का
आपराधिक रिकार्ड खंगाला, जिसमें उसके खिलाफ धारा 498 ए का मुकदमा दर्ज पाया
गया। पुलिस टीम ने मोनिका चौधरी के साथी मित्रपाल पुत्र विक्रम सिंह निवासी पीनना
का भी आपराधिक रिकार्ड खंगाला, जिसमें उसके खिलाफ दस
मुकदमे दर्ज पाये गये। इन मुकदमों में शहर कोतवाली में आठ, तितावी थाने में एक
व दिल्ली में एक मुकदमा दर्ज पाया गया है। मित्रपाल के घर भी पुलिस ने दबिश दी मगर
वह घर पर नहीं मिला। पुलिस उसके परिजनों से पूछताछ व सभी आवश्यक दस्तावेज जब्त कर
दिल्ली लौट आयी। इस दौरान पुलिस ने परिजनों से जो भी पूछताछ की उसकी बाकायदा रिकार्डिंग
भी की गई । पूछताछ और घर की तलाशी में जो दस्तावेज में मिले उससे पता चला कि क्योंकि
मीनू के पास जो कारें हैं, उनमें से एक उसके उसके भाई के नाम पर है। पूछताछ में भाई ने
बताया कि उसने मोनिका को ये कार किश्तों पर लेकर दी थी। पुलिस को पूछताछ के बावजूद
इस बात का पूरा शक है कि मोनिका ब्लैकमेलिंग का जो धंधा करती थी उसकी जानकारी
परिजनों को भी है। हांलाकि पुलिस जब मोनिका को लेकर उसके घर गई थी तो उसके परिजनों
ने जमकर हंगामा किया था और कहा कि पुलिस उसे उसे फंसा रही है।
पुलिस का कहना है कि मोनिका ने जल्द अमीर बनने की चाह में ब्लैकमेल करने का
यह शार्टकट धंधा अपनाया था। उसके सम्बन्ध बड़े-बड़े नेताओं से थे ही। बस उसने ऐसे
उम्रदराज और लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया जिनके पास मोटा पैसा था। मोनिका
लोगों को पहली ही मुलाकात में प्रभावित कर लेती थी। उसने अपनी फेसबुक पर जो
प्रोफाइल पिक्चर लगाया है, उसे देखकर ही अच्छे अच्छों के होश फाख्ता हो जाते। इस फोटो
में वह राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के साथ है। प्रोफाइल में एक फोटो भाजपा
के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकान्त वाजपेयी के साथ भी है। मोनिका का कहना
है कि डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी तो एक पारिवारिक कार्यक्रम में उसके मुज़फ्फरनगर में
खांजापुर स्थित मकान पर भी आ चुके हैं।
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के साथ |
पुलिस रिमांड के दौरान हुई जांच में पुलिस को पता चला कि केसी
पटेल के अलावा हरियाणा के सांसद
व कांग्रस नेता शादीलाल बत्रा, उत्तराखंड के मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ भी
मोनिका ने ऐसी ही शिकायते दर्ज करायी हैं। इसके अलावा मोनिका ने शकरपुर थाने में
अपनी एक कार की चोरी की एफआरआई भी दर्ज कराई थी। मामला विवादास्पद होने के कारण यह
कार आखिर तक कोर्ट से रिलीज नहीं हुई थी। मीणा ने बताया कि महिला की आय का जरिया
एक्सटॉर्शन ही है। मोनिका के गिरोह में शामिल सभी साथियों की पहचान हो गई है। उन्हें
जल्द ही गिरफ़तार किया जाएगा।
इतना ही नहीं पुलिस ने मोनिका की बीए, एमए (अंग्रेजी), एमए (राजनीतिक विज्ञान), एलएलबी की डिग्री की जांच कराने का फैंसला लिया हे। क्योंकि पुलिस को उस वक्त इन
डिग्रियों के फर्जी होंने का शक हुआ उससे अंग्रेजी के कुछ शब्द लिखने को कहा गया, तो वह नहीं लिख पाई। ऐसे में पुलिस उसकी डिग्री को लेकर जांच करेगी। माना जा
रहा है कि डिग्री फर्जी हो सकती हैं।
मोनिका के परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई भी है।
पहले यह पुरकाजी ब्लाक के एक गांव में रहते थे। बाद में शहर कोतवाली के एक गांव
में घर बनाकर रहने लगे। उनकी माली हालत अच्छी नहीं है। उनके पास खेती की जमीन भी
नहीं है। मोनिका ने खुद को एलएलएम करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता बता रखा
है। वह बीच-बीच में सफारी गाड़ी से गांव आती थी। हालांकि पुलिस को अब तक छानबीन
में उसे अधिवक्ता होंने का कोई प्रमाण नही मिला है। वह लोगों पर सुप्रीम कोर्ट की
वकील होने का रौब गांठती थी।
हनी ट्रैप मामले की पकड़ी गई मोनिका की कई अन्य भाजपा
नेताओं के साथ तस्वीरें भी उसके पकड़े जाने के बाद सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई
है। इन तस्वीरों से साफ है कि युवती का सत्ता के
गलियारों और भाजपा के कार्यक्रमों में लगातार आना जाना रहा है। युवती के दो
फोटो राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के साथ भी हैं। एक में वह कल्याण सिंह के
पास खड़े होकर फोटो खिंचवा रही है तो दूसरे में एक ग्रुप फोटो, जिसमें लगता है कि वह कुछ लोगों के साथ उनसे मिलने गई होगी। ऐसे ही एक फोटो
में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के एक और युवती व दूसरी ओर
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान बैठे हैं। इसके अलावा भी कई ऐसी फोटो हैं, जो बड़े नेताओं के साथ खिंचवाई गई है।
‘हनी ट्रैप’ शिकारों की कडि़या जोड़ने में जुटी
पुलिस
नई दिल्ली रेंज के विशेष पुलिस आयुक्त मुकेश मीणा ने बताया
कि दिल्ली पुलिस के सभी थानों इस बात की जांच की जा रही हैं कि किसी अन्य थाने
में तो महिला के खिलाफ ब्लैकमेलिंग या एक्सर्टोशन का मुकदमा तो दर्ज नहीं है। या
महिला ने ऐसा ही कोई झूठा रेप का मामला जो दर्जनही करवाया है। मीणा कहते है कि
मोनिका व उसके गिरोह ने कई नेताओं की अश्लील सीडी बनाकर उनसे मोटी रकम ऐंठी है।
महिला सांसद केसी पटेल की जो अश्लील सीडी बनाई है वह करीब पौने घंटे की है। पुलिस
के सामने जांच के दौरान इस बात का खुलासा हो चुका है कि अब तक मोनिका व उसके गिरोह
चार अन्य रसूखदार लोगों को अपना शिकार बना चुका हैं। जिनमें उत्तराखंड से बीजेपी
नेता हरक सिंह रावत, हरियाणा के राज्यसभा सांसद शादीलाल बत्रा, देवबंद के मौलाना
मसूद मदनी और यूपी पुलिस के एक कांस्टेबल सुभाष को हनीट्रैप में फंसाकर उनसे रकम
वसूलने के मामलों की कलई खुल चुकी है। लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग है जो हनीट्रैप
में फंसने के बाद ब्लैकमेलिंग का मोनिका गिरोह की ब्लैंकमेलिंग का शिकार हो चुके
है। बदनामी के डर से वे अब सामने नहीं आना चाहते । लेकिन फिर भी पुलिस ने ऐसे तमाम
लोगों की अपील की है कि वे उनकी पहचान को गुप्त रखकर उनकी शिकायत पर काम करेंगे। ये
जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने सारी कडि़यो को जोड़ना शुरू कर दिया।
हरक सिंह रावत ऐसे बने थे शिकार
हरक सिंह रावत |
साउथ दिल्ली के सफदरजंग थाने में 28 जुलाई 2016 को उत्तराखंड के बीजेपी
नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ खुद को असम निवासी बतानी वाली एक महिला ने रेप का केस
दर्ज करवाया था। 32 साल की इस महिला का आरोप था कि पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने दिल्ली
के सफदरजंग इन्क्लेव में ही उसके घर में रेप किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर महिला की मैडिकल जांच
करायी और पड़ताल शुरू की तो पता चला कि यह महिला 2014 में भी रावत
के खिलाफ इसी थाने में छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करा चुकी है।
उस शिकायत में महिला ने कहा था कि हरक सिंह ने अपने दिल्ली
के ग्रीन पार्क स्थित घर पर सितंबर 2013 में उसके साथ
रेप किया था।
चूंकि हरक सिंह रावत मई महीने में कांग्रेस से बगावत करके 9
एमएलए के बीजेपी में गए थे और उन्होंने सीएम हरीश रावत पर करप्शन के आरोप लगाए थे।
इसलिए पुलिस को इस मामले में राजनीतिक साजिश् की आशंका भी लग रही थी लिहाजा पुलिस
ने हरक सिंह रावत की गिरफ़तारी के लिए जल्दबाजी नहीं की। लेकिन अचानक तीन दिन बाद
मीनू नाम की इस महिला ने भाजपा नेता हरक सिंह रावत के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने
की अर्जी लगा दी और बयान दिया कि उसके साथ कोई दुष्कर्म नहीं हुआ। बाद में महिला
ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि उस पर सीएम हरीश रावत के लोगों ने मामला दर्ज
कराने के लिए उस पर दबाव डाला था। इसीलिए उसने दबाव में आकर मामला दर्ज कराया था।
इसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हरक सिंह रावत ने पैसे देकर ये पूरा मामला
ठंडा कर दिया।
देवबंद के मौलाना मसूद मदनी |
देवबंद के धर्मगुरू भी बने मोनिका गिरोह के शिकार
दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया है कि मोनिका के गिरोह में हरियाणा के जींद स्थित सफीदों की रहने वाली एक महिला देविका ( काल्पनिक नाम) भी शामिल है। देविका निसंतान महिलाओं को बच्चे पैदा करने की दवा देने वाले देवबंद के मौलाना मसूद मदनी के खिलाफ इसी साल 15 मार्च को रेप का मुकदमा दर्ज करवा कर उन्हें जेल भिजवा दिया था। मसूद मदनी जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी का सगा भाई व उत्तराखंड राज्य में नारायण दत्त तिवारी सरकार में राज्य मंत्री रह चुका है। देविका ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होने संतान उत्पत्ति का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। यह मामला देवबंद कोतवाली में दर्ज हुआ था। मसूद मदनी जमीयत उलमा हिन्द का उत्तराखंड अध्यक्ष व हरिद्वार बचाओ संघर्ष समिति का संयोजक भी रह चुका है।
दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया है कि मोनिका के गिरोह में हरियाणा के जींद स्थित सफीदों की रहने वाली एक महिला देविका ( काल्पनिक नाम) भी शामिल है। देविका निसंतान महिलाओं को बच्चे पैदा करने की दवा देने वाले देवबंद के मौलाना मसूद मदनी के खिलाफ इसी साल 15 मार्च को रेप का मुकदमा दर्ज करवा कर उन्हें जेल भिजवा दिया था। मसूद मदनी जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी का सगा भाई व उत्तराखंड राज्य में नारायण दत्त तिवारी सरकार में राज्य मंत्री रह चुका है। देविका ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होने संतान उत्पत्ति का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। यह मामला देवबंद कोतवाली में दर्ज हुआ था। मसूद मदनी जमीयत उलमा हिन्द का उत्तराखंड अध्यक्ष व हरिद्वार बचाओ संघर्ष समिति का संयोजक भी रह चुका है।
देविका ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि वह नौ
मार्च को मन्नत मांगने पिरान कलियर गई थी, वहां एक व्यक्ति की सलाह पर वह पति के साथ देवबंद पहुंचकर मसूद मदनी से मिली
और संतान होने के उपाय पूछे। उसने बताया कि मदनी ने होली के बाद अकेले आने की सलाह दी तो वह 16
मार्च को देवबंद पहुंच गई। उसने बताया कि मदनी ने तंत्र क्रिया के नाम पर दो बार उसके
साथ दुष्कर्म किया और कहा कि जाओ,
अब तुम्हे संतान हो जाएगी। हांलाकि मसूद मदनी ने अपने उपर लगे आरोपों का
निराधार व देविका को ब्लैकमेलर बताया था लेकिन उस वक्त पुलिस ने उनकी एक नहीं
सुनी।
बता दे कि आरोपी मसूद मदनी दीनी और सियासी एतबार से देशभर
में खास रसूख रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखते है। दिल्ली पुलिस को जांच के
दौरान इस देविका के मोनिका गैंग से संबध की जानकारी उस वक्त हुई जब सहारनपुर
पुलिस से संपर्क साधा गया। पुलिस को पता चला कि देविका ने जिस व्यक्ति को पति के
रूप में मौलाना से मिलवाया था वह कोई और नहीं बल्कि मोनिका का साथी मित्रपाल था।
यह स्थापित होते ही पुलिस समझ गई कि मोनिका के गिरोह में कुछ दूसरी लड़किया भी है
और ये पूरा गिरोह धनवान तथा प्रभावशाली लोगों को हनी टे्प में फंसाकर मोटी रकम
ऐंठने के लिए उन्हें ब्लैकमेल करता था। अब पुलिस हर उस संभावित ठिकानों पर
मोनिका गिरोह की इस दूसरी ब्लैकमेेलर लडकी की तलाश की रही है।
कांग्रेस एमपी शादीलाल बत्रा भी फंसे थे जाल में
कांग्रेस के सांसद शादीलाल बत्रा
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ये मामला 27 सितम्बर 2016 का है जब दिल्ली के तिलक मार्ग
थाने में कांग्रेस के सांसद
शादीलाल बत्रा
के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया गया था । रेप का आरोप लगाने वाली महिला कोई और
नहीं ने खुद को वकील बताने वाली मोनिका ही थी जिसने आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा से कांग्रेस के एमपी शादीलाल
बत्रा ने उनके साथ रेप किया है। मोनिका ने बताया था कि ये वारदात 24 सितम्बर की
है। साथ ही बताया कि कुछ महिने पहले एक दोस्त ने उसकी मुलाकात कांग्रेस नेता और
सांसद शादीलाल बत्रा से कराई थी।
सांसद ने अपने रसूख का दावा करते हुए उसे सुप्रीम कोर्ट में
हरियाणा की असिस्टेंट सोलिसिटर जनरल बनाने का झांसा दिया था। इसी का फायदा उठाते
हुए मोनिका से नजदीकियां बढाईं। उसके बाद 24 सितंबर को सांसद बत्रा मोनिका को अपने
फ्लैट में ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। 76 साल के शादीलाल रोहतक से विधायक भी
रह चुके हैं और उनका पार्टी में अच्छी पहुंच मानी जाती है। पुलिस ने मामला दर्ज कर
लिया था और मामले की छानबीन के बाद ही गिरफ़्तारी की जाने की बात कही थी। लेकिन बताते
है की बाद में सांसद से संभवत मनचाही रकम मिलने के बाद मोनिका कोर्ट में अपने बयान
देने से मना कर दिया और केस वापस ले लिया। इस मामलें में शादी लाल बत्रा ने कहा था
कि आरोप लगाने वाली महिला उससे टिकट दिलाने की मांग कर रही थी जब वे उसे टिकट नहीं
दिला पाए तो उसने झूठा आरोप लगा दिया।
एक सिपाही भी बना था मोनिका का पहला शिकार
बीजेपी सांसद को
हनी ट्रैप का शिकार बनाने के बाद पुलिस के हत्थे चढ़ी मोनिका के खिलाफ जाँच जैसे
जैसे आगे बढ़ रही है उसके कारनामों पर रोज एक नया खुलासा हो रहा है। बेहद संजीदगी
से रात दिन तफ्तीश करने में जुटी दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त मुकेश कुमार मीणा
ने बताया है कि जांच में पता चला है कि शातिर मोनिका चौधरी उत्तर प्रदेश पुलिस के
एक सिपाही को भी अपने ‘हनी ट्रैप’ के मायावी जाल में फंसा चुकी थी। ये घटना साल 1993 के अगस्त महीने की है। इसी
मोनिका ने मुजफ्फरनगर के एक थाने में सुभाष नाम के एक सिपाही के खिलाफ दुष्कर्म का
केस दर्ज कराया था। लेकिन, बाद में
मोनिका उस सिपाही से 70 हजार रूपये ऐंठने
के बाद कोर्ट में अपने दिए बयान से साफ मुकर गई थी।
'हनी ट्रैप' केस की जांच कर रही पुलिस सिपाही सुभाष को भी
हनी ट्रैप केस की तफ्तीश में जोड़ने जा रही है ताकि उससे महिला की करतूतों का कुछ
और खुलासा हो सके। पुलिस इस बात की भी जांच करने में लगी है कि हनी ट्रैप में
सुभाष पहला शिकार बना था या फिर उससे पहले भी इसने किसी को अपना शिकार बनाया था।
इस महिला के 'हनी ट्रैप' जाल से पर्दा
उठाती पुलिस की छानबीन में फिलहाल चार मामलों से पर्दा उठा है। पुलिस ने जांच आगे
बढने के बाद मोनिका के साथी अजय पाल को भी गिरफ्तार कर उन्हें न्यायिक हिरासत
में भेज दिया है। पुलिस की जांच में जो सबसे बड़ी बात पता लगी है वह यही कि लोग
समाज के लोकलाज के डर से पुलिस में शिकायत करने नहीं जाते थे। जिसके चलते लगातार ‘हनी ट्रैप’ का यह खेल फलता
फूलता रहा। यही कारण था कि मोनिका हमेशा अमीर और राजनीति से जुड़े लोगों को ही अपने
हनीट्रेप में फंसाती थी क्योंकि ऐसे लोग बदनामी से ज्यादा डरते हैं।
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