सूटकेश में मिली लडकी की लाश की गुत्थी सुलझाने में उलझ गई
सुनील वर्मा
एक जमाना था जब बिसरख दुनिया भर मशहूर होंने के बाद भी एक औसत दर्जे का गांव हुआ करता था। लेकिन जैसे जैसे नोएडा ने विकास की उडान भरी वैसे-वैसे बिसरख में भी समृद्धि और संपन्नता का वास होता चला गया। बिसरख गांव तथा इसके वाशिंदों की जमीन नोएडा अथारिटी में चली गइग् और मुआवजों की रकम ने यहां के लोगों को रातों रात करोडपति बना दिया। इसी का परिणाम था कि बिसरख व आसपास के इलाके में जहां कभी कच्चे मकान और दूर दूर तक खेत खलिहान दिखायी पड़ते थे आज वहां गगन चुंबी अट्टालिकाएं खडी हो गई है। आस पास के इलाकों में लोगो ने अपने बड़े बडे मकानों को छोटा कर लिया और जमीनों के छोटे-छोटे टुकड़ो पर कई मंजिला मकान बनाकर उन्हें किराए पर दे दिया और आमदनी का नया जरिया तैयार कर लिया।
बिसरख इस इलाके का सबसे मशूहर गांव है इसलिए इस गांव में वर्षो पहले एक थाना भी खोला गया था। कुछ साल पहले तक बिसरख गाजियाबाद के न्यायिक परिक्षेत्र में आता था लेकिन बाद में इसे गौतमबुद्ध नगर में शामिल कर लिया गया।
माला |
नई पीढी के पढ़े लिखे युवक युवती थे। माला ने जहां एमकॉम की पढाई की थी तो शिवम ने एमबीए किया था। वर्ष 2016 में शिवम और माला की जान पहचान फेसबुक पर एक दूसरे से बातचीत के जरिए हुई थी। बाद में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों एक ही बिरादरी के थे लिहाजा नवंबर 2017 में दोनों ने परिजनों की सहमति से विवाह कर लिया। शादी के कुछ समय बाद ही शिवम ने नोएडा के एक मॉल में सेल्स एक्जीक्यूटिव की नौकरी कर ली। हांलाकि शादी से पहले माला भी जॉब करती थी लेकिन बाद में जब उसके गर्भ में शिवम के प्यार का अंश पलने लगा तो उसने नौकरी छोड़ दी। इन दिनों वह पांच माह के गर्भ से थी। चूंकि माला एमकॉम तक पडी लिखी थी, गर्भवती होंने के कारण घर से बाहर जाकर नौकरी नहीं कर सकती थी। इसलिए वह पति का हाथ बंटाने के लिए घर में ही बच्चों को कोचिंग के साथ निकट के एक प्राइवेट स्कूल में टीचिंग की जॉब करने लगी थी।
माला की छोटी सी दुनिया थी उस पर जान छिडकने वाला पति और कोख में पल रहा उसका बच्चा। इसके अलावा अगर माला के पास समय बचता तो वह क्रिश्चियन बागू कालोनी की गली नंबर 10 के मकान नंबर 6 में रहने वाले अपने माता पिता के पास चली चली जाती। माला रामअवतार और मालती देवी की चार संतानों में सबसे छोटी है। उसकी दो बडी बहने और एक भाई है सबकी शादी हो चुकी है और सभी गाजियाबाद में आसपास ही रहते हैं। शिवम के परिवार में भी उसके माता पिता के अलावा तीन भाई व एक बहन है। वे भी गाजियाबाद में ही रहते हैं।
7 अप्रैल, 2018 को शिवम रोज की तरह सुबह साढ़े दस बजे हैबतपुर स्थित अपने किराए के घर से मोटरसाईकिल लेकर ड्यूटी के लिए निकला। वह रात को नौ बजे तक घर लौटता था। शिवम का नियम था कि वह दोपहर को दो बजे लंच टाइम में अपनी पत्नी माला को फोन करके उसकी खैरियत पूछता और उसके खान पान व दर्वाइया लेने की याद दिलाता। लेकिन उस दिन जब शिवम ने माला को फोन किया तो उसके दोनों ही मोबाइल का स्विच ऑफ मिला।
हो सकता है माला खाना खाकर आराम कर रही हो और नींद में खलल से बचने के लिए उसने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए हो। ये सोचकर वे बेफिक्र हो गया। उसने करीब पांच बजे ये सोचकर फिर फोन किया कि शायद वो अब तक सोकर उठ गइ होगी। लेकिन इस बार भी फोन करने पर स्विच ऑफ होंने का ही संदेश मिला तो शिवम को माला की चिंता होने लगी। लेकिन उसने फिर भी ये सोचकर धीरज धर लिया कि हो सकता है अभी माला सोकर ही न उठी हो। इसके बाद काम की ऐसी व्यस्तता हुई कि रात 8 बजे तक उसे माला को फोन करने की फुर्सत ही नहीं मिली। फुर्सत मिलते ही शिवम ने माला को फिर फोन किया तो एक बार फिर उसे फोन बंद होने का जवाब मिला। इसके बाद तो शिवम की परेशानी चरमसीमा पर पर पहुंच गई। ये सारे फोन शिवम ने अपने मॉल के लैंड लाइन फोन से किए थे। दरअसल, उसके ऑफिस में काम के दौरान किसी को भी मोबाइल फोन रखने की इजाजत नहीं थी इसलिए शिवम अपना मोबाइल भी घर पर माला के पास ही छोडकर जाता था। हैरानी की बात ये थी कि माला के फोन के साथ उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ बता रहा था। परेशान शिवम ने साढे आठ बजे जल्दी-जल्दी काम समेटा और आधा घंटे में घर के लिए निकला पड़ा। रोज की तरह वो उस दिन भी रात के नौ बजे ही घर पहुंचा तो देखा फ्लैट के मुख्यद्वार पर ताला लटका था।
सबसे पहले शिवम ने मकान के पहले और तीसरे तल पर रहने वाले किरायेदारों के परिवार से माला के बारे में पूछा। लेकिन उन्होंने बताया कि उन्होंने दोपहर से ही माला को कहीं नहीं देखा। घर की एक चाभी शिवम के पास भी रहती थी। उसने ताला खोला और घर के भीतर गया तो देखा कि उसके बैडरूम में कुछ असामान्य है। बैडरूम में पड़े बैड पर काफी सामान बिखरा हुआ था और कमरे में रखी लोहे की अल्मारी में भी सामान बेतरतीबी से इधर उधर रक्खा था।
कहीं ऐसा तो नहीं कि माला कहीं चली गई हो।
‘हां हो सकता है अपने मम्मी-पापा के पास गई होगी।’ लेकिन उसने मोबाइल क्यों बंद किया हुआ है। सोचते हुए शिवम ने घर के मुख्यद्वार पर ताला लगाया और मोटर साईकिल में किक मारकर अपनी ससुराल में बागू कालोनी की तरफ चल दिया। बागू कालोनी, हैबतपुर गांव से ज्यादा दूर नहीं थी मुश्किल में बीस मिनट में शिवम वहां पहुंच गया। जब उसने सास ससुर से माला के बारे में पूछा तो वे चौंक पड़े क्योंकि उस दिन माला न तो उनके पास आयी थी न ही उस दिन फोन पर उनकी कोई बात हुई थी। परिवार के लोग भी परेशान हो उठे। इसके बाद शिवम और उसके ससुराल वालों ने दूसरे रिश्तेदारों व जान पहचान वालों को फोन करके पूछताछ शुरू कर दी कि माला उनके घर पर तो नहीं है। लेकिन कहीं से भी ये जवाब नहीं मिला कि उन्हें माला के बारे में कोई खबर है। रात अधिक हो चुकी थी लिहाजा शिवम और परिजनों ने तय किया कि अब उन्हें माला की तलाश करने के लिए पुलिस की मदद लेनी चाहिए। लिहाजा शिवम अपने ससुर व साले के साथ बिसरख थाने पहुंच गए।
माला की हत्या करने वाले पडाेसी दंपत्ति |
आमतौर पर रात के समय बिसरख थाने में सन्नाटा पसरा होता है। 8 अप्रैल 2018 के पहले पहर में रात का करीब एक बजे चुका था जब शिवम अपने ससुराल वालो के साथ थाने पहुंचा।
उस वक्त रात्रि ड्यूटी पर तैनात ड्यूटी अफसर ने सारी बात सुनने के बाद शिवम की शिकायत पर डीडी नंबर 45 पर माला की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया। ड्यूटी अफसर ने शिवम से माला की फोटो और उसके हुलिए के बारे में जानकारी लेकर उसी रात जिले के सभी थानों में माला की गुमशुदगी की सूचना प्रसारित कर दी। पुलिस माला को अपने ढंग से तलाश कर रही थी और शिवम तथा उसके ससुराल वाले अपने तरीके से ढूंढ रहे थे इसी तरह तीन दिन गुजर गए।
11 अप्रैल की दोपहर को इंदिरापुरम पुलिस को कुछ राहगीरों से सूचना मिली की कनावनी में नाले के किनारे एक संदिग्ध सूटकेस पड़ा है तो इस सूचना पर पुलिस वहां पहुंची। जांच पड़ताल के बाद पता चला कि ट्राली बैग में एक महिला की लाश है जिसके हाथ-पैर सूटकेस के अंदर ही बाधे थे और सूटकेस में एक तौलिया भी गर्दन से लिपटा हुआ था जिससे साफ लग रहा था कि उसकी हत्या करने के बाद शव को ट्राली बैग में भरकर वहां लाकर डाला गया था। इंदिरापुरम थाना प्रभारी सचिन मलिक और क्षेत्राधिकारी धर्मेन्द्र चौहान का साफ लग रहा था कि हत्या कहीं ओर की गई हे और शव को वहां लाकर इसलिए डाला गया है ताकि उसकी पहचान जल्द न हो सके। लिहाजा उन्होंने घटना स्थल व लाश की फोटो करवाकर समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में उसकी खबरे प्रकाशित करने के लिए दे दी। पुलिस ने गाजियाबाद व आसपास के जिलों की पुलिस को भी लावारिश हालात में मिले महिला के शव की सूचना दे दी। ताकि जल्द से जल्द उसकर पहचान हो सके। इंदिरापुरम पुलिस ने महिला के शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम गृह में सुरक्षित रखवा दिया।
इंदिरापुरम थाना क्षेत्र में मिले शव की जानकारी और लाश की फोटो अगले दिन तक पूरे गाजियाबाद और आसपास के जिलों के थानों में पहुंच चुकी थी। बिसरख थाने में भी इंदिरापुरम थाने में मिले महिला के शव की जानकारी पहुंची तो पुलिस ने अपने इलाके में गुमशुदा महिलाओं से उस शव का मिलान किया। लाश का चेहरा काफी फूला हुआ था इसलिए उससे तो पहचान पाना नामुमकिन सा था लेकिन उसकी कद काठी और उम्र का जो विवरण लिखा था उससे लग रहा था कि यह लाश माला की हो सकती है। लिहाजा बिसरख पुलिस ने उसी दिन माला के पिता राम अवतार तथा माला के पति शिवम को फोन करके इंदिरापुरम थाने में मिले शव के बारे में बताकर कहा कि वे इंदिरापुरम पुलिस के साथ जाकर मोर्चरी में रखे शव को एक बार जाकर देख ले हो सकता है कि वो शव माला का न हो।
माला के पिता रामअवतार अपने परिवार के साथ तुरंत ही इंदिरापुरम थाने पहुंचे और थाना प्रभारी सचिन मलिक से मिलकर पहले अपनी बेटी माला के लापता होंने की बात बतायी फिर उनसे कनावनी नाले के किनारे मिले अज्ञात महिला का शव को देखने की इच्छा व्यक्त की। इंदिरापुरम पुलिस के साथ जब परिजन मोर्चरी पहुंचे और शव को देखा तो राम अवतार व उनकी पत्नी शव को देखते ही फूट फूटकर रोने लगे। दरअसल वह शव माला का ही था। दरअसल महिला के पैर में जो काला धागा बंधा था और पैर की उंगुली में जो बिछुए थे वे माला के ही थे। इसके अलावा इंदिरापुरम पुलिस ने वह ट्राली बैग भी परिजनों को दिखाया जिसमें महिला का शव मिला था तो पूरी तरह साफ हो गया कि यह शव माला का ही है। क्योंकि माला के परिवार ने यह ट्राली बैग माला को उसकी शादी में दहेज के कपड़े व गहने रखकर दिया था। परिजनों ने इस बैग को खुद खरीदा था लिहाजा उससे पहचानने में किसी को कोई भ्रम नहीं हुआ। संयोग से जिस वक्त माला के परिजन शव की शिनाख्त कर रहे थे उसी वक्त बिसरख पुलिस से सूचना पाकर इंदिरापुरम पुलिस के जरिए शिवम भी माला का शव देखने के लिए मोर्चरी पहुंच गया शव को देखने के बाद उसने भी महिला के शव की शिनाख्त अपनी पत्नी माला के रूप में कर दी। जब माला के शव की शिनाख्त की औपचारिकता पूरी हो गई तो पुलिस ने भी शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
हत्याकांड का खुलासा करती नाेएडा पुलिस |
शव की पहचान के बाद शिवम और माला के पिता इंदिरापुरम थाने आकर थाना प्रभारी सचिन मलिक से मिलें और उनसे माला की हत्या के बारे में पूछताछ करने लगे तो सचिन मलिक ने शिवम और रामअवतार से अलग-अलग पूछा कि उन्हें माला की हत्या में किस पर शक है। शिवम तो हत्या करने वालों के बारे में कुछ नहीं बता सका लेकिन माला के पिता राम अवतार ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें माला के पति शिवम पर शक है कि उसी ने अपने परिवार के साथ मिलकर मनचाहा दहेज ने मिलने के कारण माला की हत्या की है। चूंकि मामला गंभीर था इसलिए थाना प्रभारी सचिन मलिक ने सीओ इंदिरापुरम धर्मेंद्र चौहान को फोन करके सारी बात बता दी। लिहाजा सीओ धर्मेन्द्र चौहान तत्काल इंदिरापुरम थाने पहुंच गए। परिजनों ने उन्हें भी यही बात बतायी। राम अवतार ने सीओ चौहान को बताया कि माला की शादी में उन्होंने हैसियत के अनुसार दहेज भी दिया गया था। लेकिन शादी के बाद से ही शिवम माला को दहेज के लिए परेशान करता था। प्रेम विवाह करने की वजह से यह बात माला अपने परिजनों को नहीं बताती थी। लेकिन वह अपनी बहानों से अक्सर शिवम की प्रताडना को जिक्र करती रहती थी। शिवम चाहता था कि ससुराल वाले उसे आई टेन कार व पांच लाख रूपए गिफ्ट में दे जिसके लिए शिवम अक्सर माला को ताने देता रहता था। रामअवतार ने आरोप लगाया कि उसके पति ने भाई, मां व पिता के साथ मिलकर हत्या की है।
आरोप चूंकि दहेज हत्या के थे लिहाजा माला के पिता रामअवतार की शिकायत पर सीओ चौहान ने उसी दिन इंदिरापुरम थाने में अपराध संख्या 243/18 पर भादंस की धारा 498 ए (क्रूरता), 304 बी (दहेज हत्या), 201 (सबूत नष्ट करने), 316 (जन्मजात बच्चे की मौत) के साथ दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा पंजीकृत करवा दिया। चूंकि मृतका अपने पति के साथ नोएडा के हैबतपुर में रहती थी और वह क्षेत्र बिसरख थाना क्षेत्र के अर्न्तगत आता है संयोग से उसकी गुमशुदगी भी उसी थाने में पहले से दर्ज थी लिहाजा घटना का न्यायिक क्षेत्र बिसरख मानते हुए एएएसपी गाजियाबाद वैभव कृष्ण ने माला हत्याकांड की जांच बिसरख थाने में स्थानांतरित करवा दी। इधर, अगले दिन सुबह माला के शव का पोस्टमार्टम हो गया और शव उसके परिजनों को सौंप दिया गया जिसका उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मृतका माला पांच माह की गर्भवती थी यानि ये सिर्फ एक हत्या का नहीं बल्कि एक साथ दो हत्या का मामला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह भी पता चल गया कि माला की हत्या गला दबाने के कारण हुई थी।
दहेज हत्या से जुडे मामलों की जांच चूंकि राजपत्रित अधिकारी से कराने का नियम है इसलिए बिसरख पुलिस ने इंदिरापुरम से स्थानांतरित होकर आए माला हत्याकांड का मामला अपने थाने के अभिलेखों में दर्ज कर लिया जिसकी जांच तत्कालीन बिसरख क्षेत्राधिकारी अनित कुमार सिंह ने शुरू कर दी।
शिवम, उसके माता पिता और भाई को बिसरख पुलिस ने तत्काल हिरासत में ले लिया। लेकिन उन्हें जेल भेजने से पहले पुलिस को ऐसे साक्ष्य जुटाने थे जिससे साबित होता कि वाकई शिवम व उसके परिजनों ने दहेज के लिए माला की हत्या करके उसके शव को ठिकाने लगाया था। चूंकि माला के पिता रामअवतार आरोपों के अलावा ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सके थे जिससे साबित होता कि शिवम माला को दहेज के लिए परेशान करता था। शिवम नोएडा के सेक्टर 18 के एक मॉल में सेल्समेन का काम करता था, लिहाजा पुलिस ने अपनी जांच वहीं से शुरू की। मॉल के मैनेजर विक्रम से पूछताछ से लेकर वहां की सीसीटीवी फुटेज और बायोमैट्रिक मशीन के रिकार्ड से पता चला कि घटना वाले दिन शिवम सुबह नौ बजे घर से चला गया था और रात को साढ़े आठ बजे वहां से निकला था। अगर वह अपनी डूयटी पर मौजूद था तो जाहिर था कि घटना में वह कहीं भी सक्रिय रूप से शामिल नहीं था। लिहाजा सीओ अनित कुमार सिंह ने तत्काल शिवम और उसके परिजनों की गिरफ्तारी का फैंसला टाल दिया।
लेकिन सीओ अनित कुमार सिंह ने शिवम के परिवार को पूरी तरह आरोपों से मुक्त नहीं किया था। लिहाजा उन्होंने शिवम के अलावा उसके माता पिता और भाई के मोबाइल कॉल की डिटेल व उसकी सीडीआर निकलवाई। सीडीआर में परिवार के किसी भी सदस्य की लोकेशन हैबतपुर गांव के आसपास नहीं मिली। न ही कॉल डिटेल से ऐसा कोई सुराग मिला कि शिवम के परिजनों को आरोपी माना जाता। सीओ अनित कुमार सिंह को जांच में पता चला है कि मृतका माला के परिजन दोनों की शादी के खिलाफ थे। उन्हें लगा कि कहीं इसी वजह से तो माला के परिजन दुराग्रह के कारण शिवम और उसके परिवार वालों के खिलाफ बिना सबूत के आरोप नहीं लगा रहे हैं। कई दिनों की जांच पडताल के कारण सीओ अनित कुमार सिंह को कहीं से भी इस बात के साक्ष्य नहीं मिले की माला की हत्या में शिवम या उसके परिजनों का हाथ है या माला को दहेज के लिए प्रताडित किया जाता था। लिहाजा उच्चाधिकारियों के संज्ञान में जांच के सभ तथ्य लाने के बाद सीओ अनित कुमार सिंह ने माला हत्याकांड के मुकदमे से दहेज हत्या की धाराए हटाकर आगे की जांच बिसरख थाना प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी के सुपुर्द कर दी। एसएचओ अखिलेश त्रिपाठी ने इस मुकदमे में अब भादंस की नई धाराए 302, 201, 316, 394, 411 जोड नए सिरे से पडताल शुरू कर दी। उन्होंने शिवम से माला के दोस्तों व उसके बारे में व्यक्तिगत जान पहचान वालों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि माला के पास दो मोबाइल फोन थे और संयोग से दोनों ही मोबइल फोन गायब थे। शिवम ने यह भी बताया कि 7 अप्रैल को जब माला कमरे में ताला लगाकर कहीं चली गई और वह घर लौटा था तो उसने घर में कुछ सामान इधर उधर फैला देखा था। जबकि माला घर को करीने से सजाकर रखने वाली लडकी थी। शिवम ने बताया कि उसने अपने ससुराल वालों को भी यह बात बतायी थी कि माला घर से जेवरात लेकर गायब गई है।
शिवम ने बताया कि जब तक माला की लाश नहीं मिली थी तब तक वह यही समझ रहा था कि शायद माला किसी बात से नाराज होकर खुद घर से चली गई है और घर से गहने भी ले गई है। लेकिन उसकी लाश मिलने के बाद ये साफ है कि किसी ने उसकी हत्या करने के बाद घर में लूटपाट की है। लेकिन अखिलेश त्रिपाठी की समझ में ये बात नहीं आ रही थी कि अगर किसी ने लूट की वारदात को अंजाम भी दिया है तो वह माला की हत्या करके उसकी लाश को इतनी दूर ले जाकर ठिकाने लगाने की मशक्कत क्यों करेगा। कहीं ऐसा तो नहीं माला का किसी से प्रेम संबध हे और उसके किसी आशिक ने ही इस वारदात को अंजाम दिया हो। ये सोचकर अखिलेश त्रिपाठी ने माला के दोनों मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाने के साथ उसके मोबाइल की सीडीआर भी निकलवाई। लेकिन कई दिन तक उसकी जांच के बाद भी कोई क्लू नहीं निकला। अखिलेश त्रिपाठी ने अपने मुखबिरों को भी माला के चरित्र के बारे में जानकारी जुटाने के काम पर लगाया। उन्होंने माला के उस स्कूल में भी लोगों से माला के बारे जानकारी हासिल की जहां वह टीचिंग करती थी लेकिन कहीं से भी कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लग रहा था जिससे हत्याकांड के खुलासे में कोई मदद मिलती।
माला |
ये तो अब तय था कि हत्यारा कोई ऐसा शख्स था जिसने हत्या खुद की और इसमें शिवम को फंसाने की कोशिश की थी। एक ऐसी वजह थी जिससे त्रिपाठी को हत्याकांड का खुलासा होंने की उम्मीद दिख रही थी। माला का एक मोबाइल न मिलने के कारण पुलिस को जांच में
परेशानी जरूर आ रही थी लेकिन उसे उम्मीद थी कि अगर उस मोबाइल का इस्तेमाल किया
गया तो निश्चित ही कोई सुराग हाथ लगेगा। इसलिए पुलिस ने माला के उस मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया। पूछताछ में पता चला था कि माला इंटरनेट का काफी इस्तेमाल करती थी। व्हाटएप तथा फेसबुक मैसेंजर पर कॉलिंग भी करती थी। इसलिए पुलिस ने उसके वाट्सएप तथा फेसबुक प्रोफाइल को भी खंगाला लेकिन उसमें भी कोई सुराग नही मिला। पुलिस को
यह पता नहीं चला कि वह किससे बात करती थी। पुलिस को कॉल डिटेल की जांच से माला की एक सहेली के बारे में पता चला जिससे वह जरूरत से ज्यादा बात करती थी। लिहाजा पुलिसने माला की उस सहेली से पूछताछ की। पता चला कि नोएडा में रहने वाली इस सहेली की भी लव मैरिज हुई थी। लेकिन पुलिस को लंबी पूछताछ के बाद भी उससे कोई खास खास जानकारी नहीं मिली।
8 अप्रैल को हुई माया की हत्या की जांच करते हुए बिसरख पुलिस को तीन महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया था लेकिन हत्याकांड में प्रगति के नाम पर पुलिस एक कदम आगे बढाती तो दो कदम पीछे खडी दिखायी देती थी। घर से गायब कुछ गहनों, नकदी और दो मोबाइल फोन के कारण ये बात तो साफ दिख रही थी कि माला की हत्या लूट के उद्देश्य से की गई है कि लेकिन ये सब पुलिस को भ्रम में रखने के लिए किया गया है या सच में लूट हुई है पुलिस इसी पसोपेश में थी। इसी दौरान जून के आखिरी सप्ताह में गौतमबुद्ध नगर के एसएसपी डा0 अजयपाल
शर्मा ने क्राइम मीटिंग की समीक्षा के दौरान जब पाया कि बिसरख थाने की पुलिस माला
हत्याकांड खोलने में नाकाम है तो उन्होंने इस केस की जांच जिला अपराध शाखा को
हस्तातरित कर दी। जिसकी जांच का जिम्मा इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह को सोंपा गया।
इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने एक बार फिर माला हत्याकांड की जांच नए सिरे से शुरू की। उन्होंने सबसे पहले माला के माता पिता के आरोपों को ध्यान मे रखकर शिवम के इर्द- गिर्द जांच का शिकंजा कसा। इसके बाद माला व शिवम के विवाहेत्तर संबधों को लेकर जांच पडताल की। तीसरे चरण में उन्होंने लूट के उद्देश्य से माला की हत्या के एंगल की जांच करते हुए आस पडोस में रहने वाले लोगों से पूछताछ शुरू की। इसी दौरान पुलिस को माला के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों और आस पडोस के लोगों से पूछताछ के दोरान पता चला कि गाजियाबाद के कैलाश नगर में रहने वाला माला की बुआ के लड़के मोहित और उसकी पत्नी रिंकी का माला के घर काफी आना जाना था। वारदात से एक दिन पहले भी दोनों माला के घर पर आए थे और तीन चार घंटे तक उसके घर पर रहे थे। इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने सौरभ को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। मोहित ने बताया कि उसकी पत्नी रिंकी व माला की आपस में गहरी
छनती थी इसलिए वह अक्सर माला से मिलने और उसकी खैरियत लेने के लिए उसके घर
आता जाता रहता था। मोहित ने बताया कि आखिरी बार जब वह माला के घर उससे मिलने के लिए उसके घर गया था तो माला ने उस दिन उसे व रिंकी को अपने गहने और कपड़े दिखाए थे। इसके बाद तो इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह को पूरा विश्वास हो गया कि माला के गहने देखकर
शायद मोहित के मन में लालच आ गया होगा। इसलिए उन्होंने मोहित के मोबाइल की कॉलडिटेल भी निकलवायी और उसकी सीडीआर भी चेक की तो पता चला कि मोहित की लोकेशन भी उस दिन माला के घर के आसपास नहीं थी। इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने कई बार मोहित को पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटा सके। लिहाजा
उन्होंने उसकी तरफ से ध्यान हटाकर दुसरे बिन्दुओं पर जांच शुरू कर दी। इधर बिसरख थाने का ज्यादातर स्टाफ और थाना प्रभारी सभी बदल चुके थे। नए थाना प्रभारी अनिल कुमार शाही ने थाने का चार्ज संभालने के बाद जब देखा कि माला हत्याकांड उनके थाने का एक ऐसा अनसुलझा केस है जिसकी जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है तो उन्होंने तय कर लिया कि वे अपने स्तर पर अलग से इस केस को सुलझाने का प्रयास करेंगे। बिसरख सर्किल के नए सीओ निशांक शर्मा ने भी एसएचओ अनिल कुमार शाही से हत्याकांड की गुत्थी को हर हाल में सुलझाने के लिए कहा। उन्होंने एसएचओ अनिल कुमार शाही के नेतृत्व में इंसपेक्टर इनवेस्टीगेशन
राम संजीवन, एसआई देवेन्द्र कुमार राठी को शामिल करके उन बिन्दुओं पर काम करने के लिए लगा दिया जिन पर पुलिस ने अब तक गौर नहीं किया था।
इस दौरान पुलिस को हैबतपुर गांव में शिवम के घर के आसपास के लोगों से पूछताछ व सीसीटीवी की पडताल से पता चला कि जिस दिन माला अपने घर से लापता हुई थी। कुछ लोगों ने उसी मकान में तीसरे फ्लोर पर किराये के मकान में रहने वाले सौरभ व उसकी पत्नी रितु को एक बडे से बैग के साथ टैंपो से कहीं जाते देखा था। शाम को वे फिर वापस घर आ गए थे। ये एक चौकाने वाली जानकारी थी। शिवम से पूछताछ करने पर पता चला कि मई के महीने में सौरभ व रितु ने यह मकान खाली कर दिया था और अब वे गाजियाबाद के भीम नगर में किराए पर रहते है। इंसपेक्टर राम संजीवन ने माला के माता पिता को बुलाकर पूछताछ की तो उन्होंने एक नई चौकाने वाली जानकारी दी। माला की मां कांति देवी ने बताया कि एक दिन वह विजय नगर में किसी काम से गई थी तो संयोग से उसे माला के मकान में तीसरे तल पर रहने वाली रितु मिल गई। रितु ने एक ऐसी बनारसी साडी पहनी हुई थी जो हूबहू ऐसी साढी से मिलती जुलती थी जो माला की मां ने उसके विवाह में उसे दहेज में दी थी। जब माला की मां ने उस साडी के बारे में रितु से पूछा तो वह सकपका गई थी उसने बाद में कहा कि माला ने कुछ दिन पहले उसे वह साडी उपहार स्वरूप देकर कहा था कि भाभी आपके उपर ये साडी अच्छी लगेगी आप पहन लिया करो क्योंकि मैं भारी भरकम साडी नहीं पहनती। रितु ने कांति देवी को सफाई तो दे दी लेकिन कांति देवी के हलक से उसका सच उतरा नहीं क्योंकि उन्हें पता था कि माला को अपने गहनों और कपड़ो से बेहद प्यार था जिसे वो किसी को नहीं देती थी। लेकिन सच जानने के लिए बेटी अब जिंदा नही थी इसलिए यह बात उनके दिमाग से निकल गई। लेकिन जब इंसपेक्टर राम सजीवन ने उनसे रितु व उसके पति सौरभ के बारे में पूछा तो कांति देवी को अनायास ये बात याद आ गई। राम सजीवन ने ये बात एसएचओ अनिल कुमार शाही और सीओ निशांक शर्मा को बतायी तो उन्होंने रणनीति बनायी कि सौरभ को बिना भनक लगे
उसकी निगरानी की जाए। साथ ही उन्होंने माला व शिवम के लापता मोबाइल को फिर सेसर्विलांस पर लगवा दिया।
रितु |
उसे दिया था। कुछ ही दिन पहले उसने एक सिम कार्ड खरीदकर दिया और उन्हें इस्तेमाल करने के लिए दे दिया था। सौरभ का नाम सामने आते ही सारी सीओ निशांक शर्मा सारी कहानी
समझ गए। उन्होंने उसी वक्त सौरभ को हिरासत में लेने के लिए एक टीम उसके भीम नगर स्थित एक घर पर भेज दी। सौरभ तो घर पर नहीं मिला लेकिन उसकी पत्नी रितु घर पर ही मिल गई। महिला पुलिस की मदद से उसे पुलिस टीम बिसरख थाने ले आयी। पुलिस के देखते ही रितु के हाथ पांव फूल गए। एसएचओ अनिल शाही के दिमाग में पहले से ही माला की साडी वाली बात थी लिहाजा उन्होंने थोडी सख्ती की और रितु टूट गई। उसने कबूल कर लिया कि माला की हत्या उसने व उसके पति ने की थी और उसके घर से गहने, कपडे व नकदी तथा दो मोबाइल चुराकर उसके शव को उसी के बैग में भरकर टेंपो से ले जाकर कनावनी नाले के पास फेंक दिया था। पुलिस टीम ने उसी समय माला को साथ लेकर उसके घर छापा मार तो
उसके घर से करीब तीन लाख रूपए के वे तीन लाख रूपए के आभूषण, कीमती कपड़े, तथा एकअन्य मोबाइल और दूसरा कीमती सामान बरामद कर लिया जो उसने अपने पति के साथ माला के घर से चुराए थे। इसके बाद पुलिस सौरभ दिवाकर की तलाश में जुट गई। अगली सुबह पुलिस ने सौरभ को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि सौरभ मूल रूप से
अलीगढ़ के पिसावा का रहने वाला है और माला की हत्या के समय उसी मकान में तीसरे फ्लोर पर किराए पर रहता था जिस मकान के दूसरे फ्लोर पर शिवम अपनी पत्नी के साथ रह रहा था। सौरभ ने बताया कि छह अप्रैल को माला की बुआ का लड़का मोहित व उसकी पत्नी रिंकी उससे मिलने घर गए थे। घर में माला ने रिंकी को अपनी शादी के कीमती कपड़े, साड़ियां और आभूषण दिखाए थे। इसी दौरान वहां पर रितु भी पहुंच गई थी। उसने आभूषण व कपड़े देख लिए थे। जिसके बाद रितु के मन में लालच आ गया और उसने यह बात अपने सौरभ को बता। दोनों ने मिलकर आभूषण व महंगे कपड़े लूटने के लिए माला की हत्या की साजिश रची। सौरभ नशे का आदी था और उसका काम धंधा भी ठीक नहीं चल रहा था। आर्थिक तंगी के कारण सौरभ ने माला की हत्या करके उसके घर में चोरी की साजिश रच डाली।
7 अप्रैल को शिवम के जाने के बाद सौरभ के कहने पर रितु ने माला को अपने घर बहाने से बुलाया पहले उन्होंने मिलकर चाय पी। ओर उसके बाद गमछे नुमा तौलिए से सौरभ ने माला का गला घोंटकर हत्या कर दी। माला की लाश को अपने घर में ही छोडकर उसके पास से घर की चाभी लेकर सौरभ व रितु माला के घर पहुंचे। माला घर की अलमारी में रखी महंगी सात साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, स्वेटर और शॉल रख तो अपने पास रख लिए। और घर से मिले करीब तीन लाख के जेवर बाजार में ले जाकर बेच दिए थे जबकि 35 हजार रूपए की नकदी अपने पास रख ली थी। सौरभ ने माला के घर में रखा शिवम का और माला का मोबाइल भी चुराकर स्विच ऑफ कर दिया। सौरभ माला के घर से उसका ट्राली बैग भी चुरा लाया था इसी ट्राली बैग में
उसने हाथ पांव बांधकर उसने माला के शव का भर दिया। दोपहर बाद सौरभ एक टैंपा बुला लाया और पत्नी के साथ लाश से भरे बैग को लेकर विजय नगर के कनावनी में पहुंचकर टैंपो का छोड दिया। टैंपो वाले के जाने के बाद कुछ दूर तक पति पत्नी बैग को किसी तरह दूर ले गए इसके बाद मौका देखकर उन्होंने सडक से नीचे नाले के किनारे लुडका दिया और फिर वहां से वापस घर लौट आए। सौरभ ने माला के घर से चुराए गए दो मोबाइल में से एक तो अपने घर में ही छिपाकर रख लिया। लेकिन उसने सबसे बडी गलती ये कर दी कि उसने इनमें से एक मोबाइल अलीगढ़ में रहने वाले अपने पिता को दे दिया। कुछ दिन पहले उसने इस मोबाइल में एक सिमकार्ड डालकर उन्हें चलाने के लिए भी दे दिया तो उसने बडी भूल कर दी। पांच महीने से माला हत्याकांड का राज खोलने के लिए जुटी बिसरख पुलिस को इस मोबाइल की घंटी बजते ही हत्याकांड का राज खोलने का रास्ता मिल गया। सौरभ दिवाकर व उसकी पत्नी से विस्तृत पूछताछ के बाद बिसरख पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी दर्ज कर ली और दोनों को अदालत में पेश कर दिया जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेन भेज दिया गया।
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