दूसरों की कुंडली बांचने वाला पढ़ ना सका अपनी कुंडली
सुनील वर्मा
एक आशिक मिजाज ज्योतिषाचार्य जो दुसरों का भविष्य बताने के दावे करता था लेकिन एक दिन अपनी किस्मत में लिखी राहु की दशा को ना पढ़ सका और फिर जो कुछ हुआ उसी पर आधारित सच्ची कहानी
अभिषेक शर्मा (32) खुद को लोगों से अलग-अलग नामों से रूबरू कराता था। किसी को अपना परिचय अभिषेक वशिष्ठ, किसी को अभिनव शर्मा तो किसी को अभी शर्मा के नाम से देता था।
अभिषेक शरीर से थोडा भारी भरकम और चेहरे से साधारण, मगर आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था। उसकी एक खूबी थी कि एक बार वह जिस व्यक्ति से मिल लेता था उस पर वह अपना प्रभाव छोड़ देता और मिलने वाला उसका मुरीद हो जाता था। मेघा मलिक भी ऐसी ही युवती थी जो पहली ही मुलाकात में अभिषेक से इतनी प्रभावित हो गई कि मेघा ने अभिषेक को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला कर लिया। अभिषेक के परिवार में तो कोई नहीं था लेकिन मेघा के परिवार ने हंसी खुशी दोनों को गठबंधन की गांठ में बांध दिया। अभिषेक और मेघा मलिक की शादी के बारे में जानने से पहले अभिषेक के बारे में जानना जरूरी है। अभिषेक शर्मा एक ऐसा महत्वाकांक्षी युवक है जिसकी परवरिश उसके नाना और परनाना ने की है।
अभिषेक की उम्र उस वक्त महज 3 साल की थी, जब उसके पिता नंदकिशोर शर्मा और मां सुनीता देवी का आपसी मतभेदों के बाद तलाक हो गया। दरअसल शादी के बाद से ही उसके माता पिता की कभी आपस में बनी नहीं। सुनीता ने तलाक लेने के बाद मुकेश नाम के दुसरे व्यक्ति से दूसरी शादी कर ली और पंजाब के जीरकपुर में जाकर रहने लगी। सुनीता ने दूसरी शादी कर ली तो उसके बाद नंदकिशोर ने भी अपना घर बसा लिया और हरिद्वार जाकर रहने लगा। हालांकि माता-पिता के तलाक के वक्त अभिषेक की उम्र मात्र 3 साल थी। लेकिन युवावस्था और जवानी की दहलीज पर पहुंचने के बाद भी उसने कभी अपने माता पिता से मिलने की कोशिश नहीं की। उसकी परवरिश नाना और परनाना के परिवार ने मिलकर की थी।
अभिषेक के नाना डॉ राजेंद्र शर्मा और नानी संतोष देवी, परनाना स्वर्गीय नीलकंठ जो एक नामचीन ज्योतिषी थे और परनानी हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में पिहोवा तहसील के पुराना बाजार में रहते है। अभिषेक की मां सुनीता भी भी शादी के बाद अपने नाना के पास ही रही और उन्होंने वहीं पर अभिषेक को जन्म दिया था। जब उसके माता पिता ने एक दूसरे से संबंध खत्म कर अपनी नई जिंदगी बसा ली तो अभिषेक को नाना-नानी ने अपने पास ही रख लिया । अभिषेक को बचपन से माता पिता का प्यार तो नहीं मिला लेकिन ननिहाल में उसे जो परवरिश और प्यार मिला उसके कारण अभिषेक को कभी माता पिता की कमी महसूस नहीं हुई।
अभिषेक को ननिहाल में न तो कभी पैसे की कमी महसूस हुई और ना ही परिवार के प्यार की। उसका हम उम्र मामा उमाकांत उर्फ सोनू भी अभिषेक को अपना भांजा नही बल्कि छोटे भाई की तरह प्यार देता था।
माता पिता का फर्ज निभाने वाले नाना-नानी ने अभिषेक की पढ़ाई लिखाई और शिक्षा दीक्षा दिलाने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। अभिषेक के परनाना ने 9 साल की उम्र से ही अभिषेक को ज्योतिष व पंडिताई के कर्मकांड की शिक्षा दीक्षा देनी शुरू कर दी थी, जिससे धर्म-कर्म और ज्योतिष में अभिषेक ने अच्छा ज्ञान हासिल कर लिया। यही कारण था कि लोगों की कुडंली उनके मस्तक की रेखा और हाथों की लकीरें देखकर वह लोगों को उनके भूत और भविष्य के बारे में जब बताता तो वे अभिषेक की ज्योतिष कला के मुरीद होकर रह जाते। लेकिन अभिषेक अपने इस ज्ञान के कारण गुमनामी की जिंदगी बसर नहीं करना चाहता था। वह चाहता था कि उसकी ज्योतिष कला दुनिया भर तक पहुंचे इसके जरिए वह बहुत पैसा भी कमाना चाहता था। उन दिनों टीवी चैनलों पर ज्योतिष व भविष्य फल बताने वाले कुछ कार्यक्रम शुरू हुए थे जिसमें बैठने वाले ज्योतिषाचार्यो को अचानक प्रसिद्धि मिलने लगी थी। अभिषेक ने एक बड़े ज्योतिषी के रूप में प्रचार पाने के लिए इससे एक कदम आगे बढने की ठान ली । उसने तय कर लिया कि वह पत्रकारिता की डिग्री लेकर अपनी ज्योतिष विद्या के सहारे एक दिन लोकप्रियता के शिखर पर भी पहुंचेगा और ढेर सारा पैसा भी कमायेगा।
बस उस पर पत्रकार बनने की धुन सवार हो गई। चूंकि अभिषेक की रुचि पत्रकार बनने की थी, इसलिए इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद नाना-नानी ने साल 2000 में उसे कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता की पढाई के लिए दाखिला दिलवा दिया। पांच साल की पढाई के बाद अभिषेक ने 2005 में उसने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल कर ली। पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिषेक ने दैनिक पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, जगत क्रांति, हरिभूमि जैसे अखबारों के साथ थोडे-थोड़े दिन बतौर ट्रेनी पत्रकार काम किया। टीवी पत्रकारिता सीखने के लिए अभिषेक ने एनडीटीवी इंडिया, ईटीवी, इंडिया न्यूज़, स्टार न्यूज़ जैसे लीडिंग न्यूज़ चैनलों में भी स्ट्रिंगर के रूप में और न्यूज डेस्क पर काम किया। पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद अभिषेक ने अपनी रुचि के मुताबिक धर्म-कर्म, अध्यात्म और ज्योतिषी में अपनी किस्मत अजमानी शुरू की । उसने ऑनलाइन टेलीशॉपिंग और जन्मकुंडली बनाने का काम शुरू कर दिया।
अभिषेक जब पत्रकारिता की पढाई कर रहा था उन्हीं दिनों साल 2002 में परिवार वालों ने हिमाचल प्रदेश की रहने वाली एक लडकी कविता से अभिषेक की शादी कर दी। कविता बेहद संवेदनशील और घरेलू लडकी थी। शुरूआत में अभिषेक और कविता के संबध दुसरे पति-पत्नियों की तरह एक दम सामान्य थे। शादी के कुछ समय बाद अभिषेक ओर कविता का एक बेटा भी हुआ जिसका नाम उन्होंने प्यार से मांसू रखा। इन दिनों उसकी उम्र अब 8 साल है। युवावस्था से ही अभिषेक थोड़ा रंगीन मिजाज का था। अभिषेक चूंकि अक्सर घर से बाहर रहता था, कभी नौकरी के सिलसिले में तो कभी किसी दूसरे काम की वजह से। वह जब कविता के पास भी होता तब भी वह अपने साथ काम करने वाली लडकियों और महिलाओं से टेलीफोन पर लंबी–लंबी बात करने में अपना वक्त बिताता था। इसलिए पत्नी कविता से अक्सर उसका झगड़ा होने लगा। बाद में दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया कि अक्सर दोनों के बीच मारपीट होंने लगी और दोनों के परिवारों को बार-बार उनके बीच हस्तक्षेप करना पडता। परिणाम ये हुआ कि अब इसी कारण अभिषेक अक्सर घर से बाहर ही रहने लगा। पति के बिना कविता अपने ननिया सास ससुर के पास ही रहती थी। नाना नानी को भी अभिषेक का इस तरह परिवार और पत्नी का त्याग अच्छा नहीं लगा। लिहाजा जब उन्होंने उस पर कविता के साथ रहने का दबाव देना शुरू किया तो उसने कविता से अलग होने का फैसला कर लिया। 2010 में अभिषेक ने कविता को गांव में पंचायत करके तलाक दे दिया और तय हुआ कि उसका बेटा भी कविता के पास ही रहेगा। हालांकि कानूनी रूप से दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ था इसलिए कविता अपने बेटे के साथ अभिषेक के नाना-नानी के पास ही रहने लगी। अभिषेक ने अपने माता पिता के हिस्से की प्रॉपर्टी अपने नाना-नानी को बेच दी और जो पैसा मिला उसमें से बडी रकम हरजाने के रूप में अपनी पत्नी कविता को दे दी। बाकी रकम से उसने अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दिया।
अभिषेक को पता था कि हमारे देश में लोग धर्म-कर्म और अंधविश्वास पर ज्यादा यकीन करते हैं इसलिए उसने पत्रकारिता में धर्म-कर्म, ज्योतिष और कुंडली का जो काम सीखा था, उसी को अपना माध्यम बनाया मीडिया कारोबार के जरिए इसे बढाने का फैंसला किया। उसने चंडीगढ़ में वेब टीवी पोर्टल और यू ट्यूब चैनल के जरिए कुंडली और धर्म-कर्म जैसे विषयों पर लिखने-पढने और वीडियों न्यूज बनाने का काम शुरू कर दिया। इस काम से वाकई उसे प्रसिद्धि मिलनी शुरू हो गई। अभिषेक वशिष्ठ ने 2012 में साधना चैनल पर खुद को ज्योतिषाचार्य आचार्य अतुल जी महाराज बताकर एक प्रोग्राम देना शुरू कर दिया। अद्भुत ज्योतिष समाधान के नाम से शुरू हुए इस कार्यक्रम में उसके नंबर भी प्रसारित किए जाते थे और वह प्रोग्राम के बीच में फोन करने वाले दर्शकों से उनकी जन्मतिथि व जन्मस्थान के बारे में पूछताछ कर उनके भविष्य के बारे में बताता था। कुछ दिन तक तो यह प्रोग्राम काफी अच्छा चला। लेकिन बाद में कुछ दर्शकों ने चैनल से यह शिकायत की कि आचार्य अतुल जी की बतायी गई ज्यादातर बाते झूठ निकलती है। इसके बाद टीवी चैनल का माथा ठनका और उन्होंने आचार्य अतुल जी के बारे में जानकारी जुटायी तो पता चला कि असल में वह अतुल जी महाराज नहीं बल्कि ज्योतिष की जानकारी रखने वाला अभिषेक वशिष्ठ नाम का पत्रकार है जो खुद को एक विख्यात ज्योतिष के रूप में स्थापित करने के लिए चैनल का सहारा ले रहा था। ये जानकारी मिलने के बाद टीवी चैनल ने उस प्रोग्राम को बंद कर अभिषेक से किनारा कर लिया।
हालांकि अभिषेक ने कुछ दूसरे टीवी चैनलों पर भी इसके बाद अलग-अलग नामों से ज्योतिष के रूप में अपने प्रोग्राम देने की कोशिश की मगर फिर वह सफल नहीं हो सका। लिहाजा उसने अपना सारा ध्यान अपने यू ट्यूब के प्रोग्राम और वेबसाइटों के जरिए इस काम को बढाने पर केन्द्रित कर दिया।
2016 में अभिषेक ने अपना चंडीगढ़ वाला ऑफिस बंद कर दिया और देहरादून के रेसकोर्स रोड पर इंडियन मीडिया ग्रुप के नाम से एक नई कंपनी बनाकर फिर से मीडिया का वहीं कारोबार शुरू कर दिया। दरअसल, चंडीगढ से अपना दफ्तर बंद करके देहरादून में नया ठिकाना बनाने का कारण ये था कि वहां पर लोग अब अभिषेक की ज्योतिष विद्या के झांसे में आना बंद हो गए थे और उसका कारोबार वहां मंदा पडने लगा था।
देहरादून में रहते हुए ही उसने अब दुसरे तरीको से भी पैसा कमाने के तरीके ईजाद कर लिए थे। चंडीगढ के सेक्टर 34 ए में वह जीबीएम डेवलपर एंड प्रमोटर नाम की कंपनी चलाने वाले सुभाष बंसल से मिला। अभिषेक ने खुद को एक अपनी ही कंपनी इंडिया मीडिया कंपनी का कर्मचारी बताया और और अपना परिचय विशाल शर्मा के रूप में दिया। उसने सुभाष बंसल से कहा कि उसकी कंपनी अपने लिए एक जमीन तलाश कर रही है। वह उनकी कंपनी से अपनी कंपनी की सेल परचेज डील करवा देगा लेकिन इसके बदले वह दस फीसदी कमीशन लेगा। सुभाष बंसल को विशाल बने अभिषेक ने खुद की देहरादून वाली कंपनी के ऐसे सभी दस्तावेज भी दिखाए जिन्हें देखकर सुभाष बंसल को भरोसा हो गया कि वह उस कंपनी का अधिकृत कर्मचारी है।
सुभाष बंसल से उसने चंडीगढ के सेक्टर 15 में अपनी कंपनी इंडिया मीडिया ग्रुप कंपनी के लिए 6 नवंबर 2016 को एक करोड दो लाख रूपए की डील फाइनल की और इसके बदले उसने कंपनी को सेल डील के बदले फर्जी चेक दे दिया और ब्रोकरेज के रूप में पांच लाख की रकम ऐंठ ली। मगर शक होंने पर सुभाष बंसल ने जांच पडताल करने पर उसे वहीं रोक लिया। चेक की जांच करायी तो वह फर्जी निकला और सुभाष बंसल ने सेक्टर 34 पुलिस को खबर कर दी। चंडीगढ पुलिस ने अभिषेक के खिलाफ अपराध संख्या 409 दर्ज करके अभिषेक को भादंस की धारा 419/420/467 में गिरफ्तार कर लिया इस मामलें में कुछ माह बाद अभिषेक की जमानत हो गई। चूंकि देहरादून में उसने केवल फ्राड करने की नीयत से दफ्तर खोला था जिसे उसने जमानत पर आने के बाद बंद कर दिया। चंडीगढ में असफलता हाथ लगने के बाद अभिषेक ने देहरादून से अपना बोरिया बिस्तर समेटा और गुरूग्राम आ गया। यहां उसने सोहना रोड पर चंडीगढ एवेन्यू सोसाइटी में एक बडा फ्लैट किराए पर लिया और यहां एडीएन स्टार न्यूज के नाम से डिजीटल चैनल और समाचार पत्र शुरू कर दिया। इस चैनल व अखबार का एक दफ्तर अभिषेक ने नोएडा सेक्टर 126 की तपस्या कारपोरेट हाइट में भी खोलाा लेकिन इस दफ्तर को खोलने का मकसद केवल अपने क्लाइंट के साथ मीटिंग करना था। उसका सारा काम गुरूग्राम के दफ्तर से ही होता था। यहां उसने तीन चार महिलाओं व तीन लडको को काम पर रखा। फरवरी 2018 में उसका एडीएन स्टार न्यूज पेपर भी शुरू हो गया। इसी नाम के डिजीटल चैनल का लोगों और डिजाइनिंग अभिषेक ने बिल्कुल स्टार न्यूज से मिलती जुलती हुई बनवायी जिसके देखकर लगता था कि स्टार न्यूज से एबीपी न्यूज के नाम में तब्दील हुआ स्टार न्यूज चैनल एडीएन स्टार न्यूज के नए नाम से शुरू हो रहा है। इस डिजीटल चैनल का अभिषेक ने फेसबुक और सोशल मीडिया पर खूब प्रचार किया जिस कारण भ्रम के कारण बहुत से लोगों इस डिजीटल चैनल के साथ जुडकर काम करने लगे। इसमें न्यूज तो नाम के लिए दिखाई जाती थी अधिकांश प्रोग्राम कुंडली और टेलीशॉपिंग से जुडे हुए होते थे। अभिषेक ने पैसा कमाने के लिए एक बार फिर छोटे मोटे दूसरे सेटेलाइट चैनलों पर भविष्य और कुंडली से जुडे प्रोग्राम देने शुरू कर दिए थे।
कुंडली और दूसरों का भविष्य बताते-बताते अभिषेक को एक बात का अनुभव हुआ कि लोगों की सबसे ज्यादा चिंता या तो अपने रोजगार से जुडी होती है या बेटियों की शादी और उनके लिए योग्य वर को लेकर। क्योंकि उसके कुंडली प्रोग्राम में लोग अक्सर अपनी बेटियों के लिए अच्छा रिश्ता मिलने का लेकर सवाल पूछते थे। अभिषेक किशोरावस्था से ही रंगीन और आशिक मिजाज प्रवृत्ति का था। उसने सोचा क्यों न वह खुद भी शादी कर लें। अभिषेक जवान भी था और अच्छा खासा पैसा भी कमाता था। बातचीत करने में तो वह इतना पारंगत था कि एक बार जो भी उससे बात कर लेता प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। बस उसने इसी का ध्यान में रखकर मेट्रीमोनियल की अलग-अलग वेबसाइट्स पर अलग-अलग नाम से फर्जी आईडी बनाकर अपना प्रोफाइल बनाया। सभी प्रोफाइल मे उसने खुद को अविवाहित और अनाथ बताते हुए, मीडिया हाउस कंपनी का मालिक और लाखों कमाने वाला बताया था। हा हर मेट्रोमोनियल साइट्स पर नाम अलग रखा था। कहीं अभिषेक वशिष्ठ तो कहीं अभिषेक शर्मा, कहीं अभिनव शर्मा नाम लिखा था। दिलचस्प बात ये थी कि मीडिया के क्षेत्र में काम करते अभिषेक जालसाजी के सभी गुर सीख गया था। उसने अपने सभी नामों की न सिर्फ आईडी और आधार व पहचान पत्र बनवा रखे थे बल्कि अलग-अलग नाम से कई मोबाइल नंबर भी रखता था। मैट्रीमोनियल की हर साइट पर उसने अलग अलग नंबर दे रखे थे।
इसका परिणाम ये निकला कि उसकी प्रोफाइल से प्रभावित होकर कुछ लडकियों व उनके परिजनों ने अभिषेक से चैट के जरिए व काल के जरिए संपर्क करना शुरू कर दिया। वह जब भी किसी परिवार से मिलने जाता तो किराए की बीएमडब्लू गाडी लेकर जाता था और उसे अपनी बताता। नोएडा और गुरूग्राम में उसने जो किराए के फ्लैट ले रखे थे उन्हें भी वह लोगों को अपना बताता था। जब कोई उससे उसकी आमदनी पूछता तो वह 40 से 50 लाख सलाना की कमायी बताता।
मैट्रीमोनियल साइट जीवनसाथी डॉट कॉम पर उसने अभिषेक वशिष्ठ पुत्र नंद किशोर के नाम से ऐसी ही प्रोफाइन बना रखी थी। जिसे देखकर जनवरी 2018 में नई दिल्ली के तानसेन मार्ग पर रहने वाले एयर कंडीशनर इंजीनियर नरेश मलिक ने अभिषेक से फोन पर संपर्क कर मिलने की इच्छा जताई और बताया कि वह अपनी इकलौती बेटी मेघा के लिए उससे शादी की बात करना चाहता है।
नरेश मलिक की इच्छा के मुताबिक अभिषेक अपनी किराए की बीएमडब्लू कार लेकर गोल मार्किट के बंगला स्वीटस में आकर नरेश मलिक से मिला। पहली ही नजर में नरेश मलिक अभिषेक से बेहद प्रभावित हुए। शरीर से अभिषेक थोडा भारी जरूर था लेकिन उसका व्यक्त्वि बेहद आकृर्षक था। उसकी बातों में ऐसा प्रभाव था कि नरेश मलिक ने पहली ही मुलाकात के बाद फैंसला कर लिया कि वह अपनी बेटी की शादी अभिषेक के साथ ही करेंगे। यह जानकार तो उन्हें और भी प्रसन्नता हुई की अभिषेक एकदम अकेला था। उसने उन्हें बताया कि उसके माता पिता की कई साल पहले एक हादसे में मौत हो गई है। करीबी रिश्तेदारों में भी कोई नहीं है दूर के रिश्तेदारों से उसका कोई वास्ता नहीं है। उसके पास नोएडा व गुरूग्राम में अपना घर है और वह एक मीडिया कंपनी का मालिक है तथा 40 से 50 लाख रूपए हर साल कमाता है। अपली बीएमडब्लू गाडी है।
एक पिता को क्या चाहिए। बेटी के लिए सुंदर, सुशील और कमाने वाला पति और अगर परिवार के नाम पर वह एकदम अकेला हो तो सोने पे सुहागा ही होगा। बातचीत से नरेश मलिक ये भी जान गए कि अभिषेक एक दम धर्म भीरू स्वभाव का लडका था। उन्होंने अभिषेक से मुलाकात की बात अपने परिवार को बतायी तो उसकी खूबियां जानकार सभी बहुत खुश हुए। नरेश मलिक की पत्नी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार आफिस में नौकरी करती है। जबकि उनका बडा बेटा विवाहित है और उनके साथ ही रहता है। परिवार की सहमति से अभिषेक से परिवार के दूसरे सदस्यों का मिलने जुलने का सिलसिला शुरू हुआ। नरेश मलिक की बेटी मेघा भी उससे मिली। सभी को अभिषेक संस्कारी और अपने लायक लडका लगा। मेघा एक दिन अभिषेक के साथ उसके घर गुरूग्राम भी गई वहां बडे़ से फ्लैट में ही उसका डिजीटल टीवी और अखबार का चल रहा ऑफिस तथा वहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी उसने देखा तो उसे संतुष्टि हो गई कि अभिषेक ने जो कुछ बताया है सब ठीक है। नरेश मलिक व उनकी बेटी मेघा ने इस दौरान मोका पाकर अभिषेक की बीउमडब्लू कार के ड्राइवर राजकुमार से भी अभिषेक के बारे में छानबीन की तो उसने भी बताया कि अभिषेक में न तो कोई बुरी लत है न ही आजकल के दूसरे नौजवानों की तरह उनमें कोई ऐब है। इतने बड़े कारोबार और प्रोपर्टी के बावजूद उनमें कोई घमंड नहीं है।
बस मलिक परिवार को अब लगा कि देर करना ठीक नहीं है कहीं ऐसा न हो कि हाथ से लडका निकल जाए लिहाजा उन्होंने 29 जनवरी 2018 को अभिषेक को अपने घर बुलाया और उसे शगुन में 11 हजार रूपए व नारियल देकर तिलक करके उसका अपनी बेटी के साथ रिश्ता पक्का कर दिया। जब बात पक्की हो गई तो बदले में अभिषेक ने भी मेघा को सोने की एक अंगूठी पहना दी। शादी पक्की होंने के बाद मेघा एक बार अभिषेक की जांच पडताल करने गुरूग्राम के उसके फ्लैट पर पहुंची लेकिन इस बार भी उसे कोई शक नहीं हुआ। आखिर 10 मार्च को 2018 को नरेश मलिक के परिवार ने अपने रिश्तेदारों और मित्रों को बुलाकर आईटीसी मौर्या होटल में अभिषेक व मेघा की रिंग सेरेमनी कर दी। इस आयोजन में करीब 4 लाख खर्च हुआ। रिंग सेरेमनी के दो दिन बाद ही मलिक परिवार ने गाजियाबाद के एक आर्य समाज मंदिर में दोनों की सादगी पूर्ण ढंग से शादी कर दी। शादी में मलिक परिवार ने अभिषेक को लाखों रूपए नगद व बेटी व दामाद को लाखों के जेवर दिए।
चूंकि अभिषेक के घर में शादी के बाद के घरेलू रीति रिवाज करने वाला काई नहीं था लिहाजा पहले तो एक-दो दिन अभिषेक नवविवाहित पत्नी मेघा को लेकर दो दिन तक गुरूग्राम के रेडीसन ब्लू होटल में रहा और उसके बाद 15 दिन के लिए हनीमून मनाने के लिए केरल चला गया।
10 जुलाई 2018 को नरेश मलिक व उनकी पत्नी अपनी बेटी मेघा को लेकर नई दिल्ली के बाराखम्बा थाने में पहुंचे। उन्होंने थाना प्रभारी गिरीश कोशिक को बताया कि उनका दामाद अभिषेक वशिष्ठ उनकी बेटी को छोउकर कहीं चला गया है। मलिक परिवार ने बताया कि अभिषेक जब उनकी बेटी को लेकर केरल में हनीमून बनाने गया था तो वहां उसने उसके साथ हिसंक ढंग से अपनी वासना पूर्ति की। इतना ही नहीं उसने उनकी बेटी की इच्छा के खिलाफ उसके साथ अमानुषिक ढंग से अप्राकृतिक ढंग से काम पिपासा शांत की । इतना ही नहीं लाखों का दान दहेज देने के बावजूद हनीमून से लौटते ही अभिषेक ने उनकी बेटी पर पिता से 10 लाख रूपए लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब उसने मना किया तो वह मेघा से मारपीट करने लगा। दो तीन महीने तक अभिषेक व मेघा के बीच इसी तरह के छोटे मोटे झगडे होते रहे इस बात पर दोनों में झगडा होंने लगा । एक दिन जब मेघा ऐसी ही लडाई के बाद अपने मायके गई थी तो दो दिन तक उसकी अनुपस्थिति में अभिषेक ने अपना गुरूग्राम व नोएडा का आफिस व घर खाली कर दिया और अपने सभी सामान, गाडी और बेटी को दहेज में मिले गहनों के साथ फरार हो गया। चूंकि मामला दहेज का ही नहीं एक महिला के उत्पीडन का भी था । लिहाजा एसएचओ कोशिक ने अपराध संख्या 81 पर भारतीय दंड सहिता की धारा 323, 406, दहेज उत्पीडन की धारा 498ए, 420, 468 व 377 के तहत मुकदमा पंजीकृत करा दिया और इसकी जांच का काम तेजतर्रार महिला सब इंसपेक्टर अलका शर्मा के सुपुर्द कर दिया। आरोप अभिनव शर्मा को पकडने के लिए थाना प्रभारी ने अलका शर्मा के नेतृत्व में एक टीम भी गठित कर दी जिसमें सब इंसपेकटर मुकेश खाटा व एसआई विवेक को भी उनकी मदद करने के लिए शामिल कर दिया गया।
सब इंसपेक्टर अलका शर्मा ने मुकदमा दर्ज कर जांच हाथ में लेते ही सबसे पहले आरोपी अभिषेक के उन सभी मोबाइल नंबर को ट्रेस करने का काम शुरू किया जो उन्हें मलिक परिवार से मिले थे। लेकिन हैरानी की बात ये थी कि ये सभी नंबर लगातार बंद चल रहे थे। कई दिन की मशकक्त के बाद बाराखंबा थाने की पुलिस को अभिषेक शर्मा की बीएमडब्लू गाडी का नंबर से उस कार का रजिस्टर्ड पता मिल गया। पुलिस ये जानकार हैरान रह गई कि जिस लक्जरी कार को अभिषेक अपना बताता था वह ग्रेटर कैलाश में रहने वाले पंकज मल्होत्रा के नाम पर थी और उस कार का ड्राइवर राजकुमार दरअसल उन्हीं का ड्राइवर था और यह कार अभिषेक ने 80 हजार रूपए महीने के किराए पर ली थी। पिछले तीन पांच महीने से उसने ये कार किराए पर ली हुई थी। ड्राइवर राजकुमार को जब पकडकर पूछताछ की गई तो उसने बताया कि अभिषेक इस कार को तभी इस्तेमाल करता था जब उसे किसी पर अपना प्रभाव जमाना होता था। अभिषेक राजकुमार को इसी बात के 15 हजार रूपए महीना देता था कि जब भी कोई उसके बारे में राजकुमार से छानबीन करे तो वह उससे यहीं बताए कि वह अनाथ है और ये बीएमडब्लू गाडी भी अभिषेक की ही है। गुरूग्राम व नोएडा के जो मकान उसके पास है वे भी अभिषेक ने अपने ही बताने के लिए कहा। राजकुमार को भला इतना सा झूठ बोलने में कौन सी दिक्कत थी। उसने मलिक परिवार से भी पूछने पर ये झूठ बोल दिया था। राजकुमार इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं दे सका।
जांच अधिकारी अलका शर्मा ने अभिषेक शर्मा के सभी टेलीफोन नंबर की डिटेल निकलवाकर ऐसे कई लोगों से पूछताछ की जिनसे वह काफी बातचीत करता था। लेकिन लंबा वक्त बीत गया और अभिषेक वशिष्ठ का कोई सुराग नहीं मिला। नई दिल्ली जिले के तत्कालीन डीसीपी मधुर वर्मा ने जांच अधिकारी अलका शर्मा और बाराखंबा रोडा थाने की पुलिस की अनुसंशा पर आरोपी अभिषेक को भगौडा घोषित कर उसकी गिरफ्तारी या सूचना देने वाले का 50 हजार रूपए का ईनाम देने की घोषणा कर दी ।
स्पेशल सेल की जांच आमतौर सटीक इलैक्टॅानिक सर्विलांस और तकनीक पर आधारित होती है। जिस काम को जिले में थानों की पुलिस सामान्य बात समझ कर नजरअंदाज कर देती है। स्पेशल सेल उसी आधार पर सुराग हासिल कर लेती है। इस मामलें में भी ऐसा ही हुआ। इंसपेक्टर चन्द्रिका प्रसाद व अमूल त्यागी के साथ सब इंसपेक्टर अमित व राहुल तथा कांस्टेबल कपिल व अजीत भी जांच में जुट गए। स्पेशल सेल की टीम ने अभिषेक के सभी मोबाइल नंबरों की छह महीने की काल डिटेल के साथ उसके नंबरों की सीडीआर तथा फोन लोकेशन खंगालनी शुरू की। इस छानबीन के बाद पुलिस ने कई ऐसे लोगों का पता लगाया जो उससे लगातार बात करते रहते थे। इसके बाद पुलिस ने छह ऐसे लोगों का छांटा जिनसे करीब हर रोज अभिषेक की बात होती है। उन सभी दह लोगों के फोन नंबर की काल डिटेल निकाली गई तो ऐसी दो महिलाओं का पता चला जो हरिद्ववार में रहती थी। उन दोनों महिलाओं के नंबर पर अभिषेक लगभग हर रोज बात करता था। उसके मोबाइल की लोकेशन भी महीने में दो तीन बार कई कई दिन तक उन्हीे महिलाओं के मोबाइल की लोकेशन के पास होती थी। पुलिस को लगा कि हो न हो ऐसा तभी हा सकता है जब अभिषेक उनसे मिलने जाता हो। पुलिस को इन दोनों महिलाओं पर इसलिए भी शक गहरा गया कि जुलाई महीने में जब अभिषेक दिल्ली से भागा तो उसके एक मोबाइल की लोकेशन कुछ दिन तक हरिद्वार में ही दिखी थी लेकिन बाद में उसने इस फोन काे भी बंद कर दिया। दिलचस्प बात ये थी कि जिस मोबाइल में उसने ये नंबर डाला हुआ था उसी में उसने एक नया नंबर डालकर उसे अगस्त महीने से शुरू किया था। दिलचस्प बात ये थी इस नंबर से अगस्त महीने से ही मीनाक्षी और पूनम नाम की इन दोनों महिलाओं के फोन पर लगातार उसी तरह लंबी लंबी बातचीत होती थी जैसे अभिषेक के पुराने नंबरों से लंबी कॉल होती थी। एसीपी अतर सिंह समझ गए कि दाल में कुछ काला है लिहाजा उन्होंने इसंपेक्टर प्रसाद व त्यागी को टीम के साथ तत्काल हरिद्वार की तरफ रवाना कर दिया।
अभिषेक शर्मा से पूछताछ में पता चला कि उसे यौन संबधों के दौरान महिलाओं से अप्राकृतिक संबध बनाने का शौक है। इसलिए जब वह मेघा मलिक के साथ हनीमून मनाने केरल गया तो वहां उसने मेघा के साथ भी यही करने की कोशिश की। मगर मेघा ने ऐसा करने से मना कर दिया जिस पर अभिषेक ने उसे धमकी दी कि अगर वह उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं कर सकती तो उसके साथ लंबा जीवन बिताना उसके लिए संभव नहीं होगा। न चाहते हुए भी मेघा उसकी इच्छापूर्ति के लिए तैयार हो गई। दिल्ली आने के बाद अभिषेक ने मेघा पर एक जरूरी काम के लिए अपने पिता से 10 लाख रूपए लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। लेकिन मेघा ने साफ इंकार कर दिया कि वह ऐसा नहीं कर सकती। ये बात भी आई गई हो गई। लेकिन असली दिक्कत तब शुरू हुई जब मेघा ने अभिषेक पर जब तब राधास्वामी सतसंग में चलने का दबाव बनाना शुरू किया। दरअसल पूरा मलिक परिवार राधा स्वामी का अनुयायी है। जबकि अभिषेक दुर्गा माता का पुजारी है। मेघा और अभिषेक दोनों की धार्मिक आस्थाएं एकदम अलग थी। इसलिए इस बात को लेकर दोनों के बीच अक्सर झगडा होंने लगा। इसी बात को लेकर एक दो बार दोनों में हाथ पायी भी हो गई। नाराजगी में जब मेघा अपने घर चली गई तो अभिषेक ने उसकी अनुपस्थिति में अपना गुरूग्राम व नोएडा वाले घर खाली कर दिए और रातों रात हरिद्वार चला गया। दरअसल हरिद्वार से उसका पुराना नाता था। मीनाक्षी व पूनम की जिन महिलाओं के माध्यम से पुलिस अभिषेक तक पहुंची थी दरअसल उन दोनों के साथ अभिषेक के लिव इन रिलेशन के रिश्ते है। दोनों ही गरीब परिवार की महिलाए है लेकिन उनके पति बेरोजगार व परिवार चलाने में असमर्थ है। दोनों के बच्चे भी है। मीनाक्षी करीब दस साल पहले मोहाली में अभिषेक के पास नौकरी करती थी। उसी वक्त मीनाक्षी से उसके संबध हो गए थे। बाद में जब उसने अपना दफ्तर बंद कर दिया तो मीनाक्षी अपने परिवार के साथ हरिद्वार आकर रहने लगी। लेकिन वहां आने के बाद भी अभिषेक से उसके लिव इन रिलेशन बरकरार रहे।
दरअसल, अभिषेक उसके पूरे परिवार का खर्च उसे हर महीने पहुंचाता था। और कभी कभी उससे मिलने के लिए आता रहता था। हरिद्वार की ही रहने वाली एक अन्य गरीब विवाहित महिला पूनम से भी अभिषेक के ऐसे ही रिश्ते थे। जब वह 2016 में देहरादून आया और वहां एक दफ्तर खोला तो पूनम उसके यहां नौकरी करने आयी थी। जिससे बाद में उसके संबध कायम हो गए। बाद में दफ्तर तो बंद हो गया मगर वह पूनम को भी हर माह घर खर्च के लिए पूरा पैसा देता था जब कभी मन करता तो पूनम से मिलने हरिद्वार चला आता। बाद में जब वह मेघा मलिक को छोडकर हरिद्वार चला गया ताे मीनाक्षी व पूनम की मदद से वहां एडीएन स्टार न्यूज डिजीटल चैनल का नया दफ्तर बनाया।
लेकिन अभिषेक यह बात भूल गया था कि अपने पाप के जो निशान वह दिल्ली में छोडकर आया है उसके निशान खोजते-खोजते पुलिस उसे हरिद्वार में भी आकर दबोच सकती है।
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